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ताड़  : पुं० [सं० ताल] १. एक प्रकार का बहुत अधिक ऊंचा और लंबा पेड़ जिसमें डालें या शाखाएँ नहीं होती केवल ऊपरी सिरे पर कुछ बड़े और लंबे पत्ते होते हैं। इसी का मादक रस ‘ताड़ी’ कहलाता है। पद–ताड़पन (देखें)। २. मारना-पीटना या डाँटना-डपटना ताड़ना। ३. ध्वनि। शब्द। ४. पर्वत। पहाड़। ५. मूर्ति का ऊपरी भाग या सिरा। ६. बाँह पर पहनने का टाड़ नाम का गहना। ७. डंठलों आदि का पुला। जुट्टी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
ताड़क  : वि० [सं०√तड् (ताड़ना)+णिच्+ण्वुल्-अक] ताड़ना करनेवाला। पुं० १, वधिक। २. जल्लाद।
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ताड़का  : स्त्री० [सं०] एक राक्षसी जिसे रामचंद्रजी ने मारा था।
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ताड़का-फल  : पुं० [सं० तारका-फल, ब० स० नि, र-ड] बड़ी इलायची।
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ताड़कायन  : पुं० [सं० ताडक+फक्-आयन] विश्वामित्र के एक पुत्र का नाम।
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ताड़कारि  : पुं० [सं० ताडका-अरि, ष० त०] (ताड़का के शत्रु) रामचंद्र।
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ताड़केय  : पुं० [सं० ताड़का+ढक्-एय] ताड़का का पुत्र, मारीच।
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ताड़घ  : पुं० [सं० ताल√हन् (मारना)+टक्, नि० ल-ड] प्राचीन काल में वह राज-पुरुष जो अपराधियों को कोड़े लगाता था।
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ताड़घात  : पुं० [सं० ताड√हन्+अण्] हथौड़े आदि से चीजें पीटकर काम करनेवाला कारीगर। जैसे–लोहार, सुनार आदि।
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ताड़न  : पुं० [सं०√तड्+णिच्+ल्युट्-अन] १. आघात या प्रहार करना। मारना-पीटना। २. डाँट-डपट। घुड़की, झिड़की आदि। ३. दंड। सजा। ४. गणित में गुणा करने की क्रिया। गुणन। जरब। ५. तंत्र शास्त्र का एक विधान जिसमें किसी चीज पर मंत्र के वर्ण लिखकर वह चीज कुछ दूसरेमंत्र पढ़ते हुए किसी पर या कहीं फेंकी या मारी जाती है।
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ताड़ना  : स्त्री० [सं०√तड्+णिच्+युच्-अन] १. ताड़न करने अर्थात् मारने-पीटने की क्रिया या भाव। २. किसी के कार्य, व्यवहार आदि से असंतुष्ट होकर उसे सचेत करने तथा कर्तव्यपरायण बनाने के उद्देश्य से कही हुई कड़ी बात। ३. प्रहार। मार। ४. दंड। सजा। ५. किसी को दिया जानेवाला कष्ट, दुःख आदि। स० १. मारना-पीटना। २. किसी के कार्य, व्यवहार आदि से अप्रसन्नता प्रकट करते हुए उस व्यक्ति को सचेत करना और उसका ध्यान कर्तव्यपालन की ओर आकृष्ट करना। ३. दंड या सजा देना। स० [सं० तर्कण या ताड़न] कुछ दूरी पर लोगों की आँखे बचाकर या लुक-छिपकर किये जाते हुए काम को अपने कौशल या बुद्धि-बल से जान ये देख लेना।
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ताड़नी  : स्त्री० [सं० ताड़न+ङीष्] कोड़ा। चाबुक।
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ताड़नीय  : वि० [सं०√तड्+णिच्+अनीयर] जिसे ताड़ना देना आवश्यक या उचित हो।
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ताड़पत्र  : पुं० [सं० तालपत्र] ताड़ वृक्ष के पत्ते जिन पर प्राचीन काल में ग्रंथ, लेख आदि लिखे जाते थे।
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ताड़बाज  : वि० [हिं० ताड़ना+फा० बाज] जो प्रायः और सहज में कोई बात ताड़ या भाँप लेता हो।
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ताड़ित  : भू० कृ० [सं०√तड्+णिच्+क्त] १. जिसे ताड़ना दी गई हो या मिली हो। २. जो मारा-पीटा गया हो। ३. जिसे घुड़का या डांटा गया हो। ४. जिसे दंड या सजा मिली हो। ५. जिसे डाँट-टपट कर या मार-पीट कर कहीं से निकाल, भगा या हटा दिया गया हो।
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ताड़िद्दाम (मन्)  : [सं० ष० त०] बिजली कौंधने के समय दिखाई पड़नेवाली उसके प्रकाश की रेखा। विद्युल्लता।
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ताड़ी  : स्त्री० [सं०√तड्+णिच्+इन्+ङीष्] १. एक प्रकार का छोटा ताड़ वृक्ष। २. एक प्रकार का गहना। ३. ताड़ के फूलते हुए डठलों से निकाला हुआ नशीला रस जिसका व्यवहार मादक द्रव्य के रूप में होता है। स्त्री० दे० ‘तारी’ (अरबी)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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