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त्रया  : स्त्री० [सं०√त्रप् (लज्जा करना)+अङ्-टाप्] [वि० त्रपमान्] १. कीर्ति। यश। २. लज्जा। शरम। ३. छिनाल स्त्री० पुंश्चली। वि० १. क्रीतिमान्। २. लज्जित। शरमिन्दा।
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त्रयारुण  : पुं० [सं०] पंद्रहवें द्वापर के एक व्यास का नाम।
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त्रयारुणि  : पुं० [सं०] एक प्राचीन ऋषि का नाम जो भागवत के अनुसार लोमहर्षण ऋषि के शिष्य थे।
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