शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					फिक्र					 :
				 | 
				
					स्त्री० [अ० फ़िक्र] १. वह मानसिक अवस्था जिसमे मन विक्षुब्ध होकर किसी होनेवाली अथवा बीती हुई बात या उसके परिणाम के सम्बंध में विकल भाव से बार-बार विचार करता रहता है और साथ ही भयभीत होता तथा दुःखी रहता है। चिंता। क्रि० प्र०—लगना। २. किसी बात के निर्वाह पालन आदि के संबंध में होनेवाला ध्यान। जैसे—उस रोगी को अपने बच्चों की फ़िक्र थी। क्रि० प्र०—होना। ३. कोई काम करने के लिए मन में किया जाने या होनेवाला विचार। ध्यान। उदाहरण—अब मौत नकारा आन बजा चलने की फ़िक्र करो बाबा।—नजीर। ४. उपाय की उद्भावना या विचार। यत्न। तदवीर। जैसे—अब तुम हमें छोड़ दो और अपनी फ़िक्र करो। ५. साहित्य में काव्य-रचना के लिए किया जानेवाला चिंतन या विचार।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					फिक्रमंद					 :
				 | 
				
					वि० [फा० फिक्रमंद] जिसे फिक्र या चिंता लगी हुई हो।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |