शब्द का अर्थ
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					फीक					 :
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					स्त्री० [?] चाबुक की मार।				 | 
			 
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
					
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					फीका					 :
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					वि० [सं० अपक्क, प्रा० अपिक्क] १. (खाद्य पदार्थ) जिसमें आवश्यक, उपयुक्त अथवा यथेष्ठ मिठास रस अथवा स्वाद न हो जैसे—फीका दूध (जिसमें यथेष्ट मिठास न हो) फीकी तरकारी (जिसमें यथेष्ठ नमक-मिर्च न हो) २. (रंग) जो यथेष्ठ चमकीला या तेज न हो। धूमिल मलिन। जैसे—चार दिन में ही साड़ी का रंग फीका हो जायगा। ३. (खेल, तमाशा आदि) जिसमें आनंद की प्राप्ति न हुई हो। ४. (पदार्थ या व्यक्ति) कांति, तेज, प्रभा आदि से रहित या हीन। जैसे—मुझे देखते ही उसके चेहरे का रंग फीका पड़ गया। मुहावरा—(किसी व्यक्ति का) फीका पड़ना-लज्जित होने के कारण निष्प्रभ या श्री-हत होना। ५. जिसका अभीष्ट या यथेष्ठ परिणाम न हुआ हो अथवा प्रभाव न पड़ा हो। उदाहरण—नीकी दई अनाकनी, फीकी परी गुहारि।—बिहारी। ६. (व्यक्ति का शरीर) जो हलके ज्वर के कारण कुछ गरम और तेजहीन या सुस्त हो गया हो। (स्त्रियाँ) जैसे—हाथ लगाकर देखा तो पिंडा फीका लगा।				 | 
			 
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
				 
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