शब्द का अर्थ
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					वेण					 :
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					पुं० [सं०√वेण् (गमन)+अच्] १. एक प्राचीन वर्णशंकर जाति जो मुख्य रूप से गाने-बजाने का काम करती थी। २. राजा पृथु के पिता का नाम।				 | 
			
			
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					वेण-यव					 :
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					पुं० [सं०] वेणु-बीज।				 | 
			
			
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					वेणवी (विन्)					 :
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					वि० [सं० वेणु+इनि] जिसके पास वेणु हो। पुं० शिव।				 | 
			
			
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					वेणा					 :
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					स्त्री० [सं० वेण+टाप्] १. एक प्राचीन नदी जिसे पर्णसा भी कहते हैं। २. उशीर। खस।				 | 
			
			
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					वेणि					 :
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					स्त्री० [सं०√वी (गमन)+नि, णत्व] बालों की लटकती हुई चोटी। २. चोटी गूँधने की क्रिया। ३. जल-प्रवाह। ४. संगम। ५. देवदाली। बंदाल।				 | 
			
			
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					वेणिक					 :
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					पुं० [सं० वेणि+कन्] १. एक प्राचीन जनपद। २. उक्त जनपद का निवासी।				 | 
			
			
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					वेणिका					 :
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					स्त्री० [सं० वेणिक+टाप्] स्त्रियों की वेणी।				 | 
			
			
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					वेणिनी					 :
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					स्त्री० [सं० वेण+इनि+ङीष्] स्त्री जिसकी गुँथी हुई चोटी लटक रही हो।				 | 
			
			
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					वेणी					 :
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					स्त्री० [सं० वेण+ङीष्] १. स्त्रियों के बालों की गूँथी हुई चोटी। कवरी। २. पानी का बहाव। ३. भीड़-भाड़। ४. देवदाली। ५. एक प्राचीन नदी। ६. भेड़। ७. देवताड़।				 | 
			
			
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					वेणीदान					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] किसी तीर्थ-स्थान विशेषतः प्रयाग में केश मुड़वाने का एक कृत्य या संस्कार।				 | 
			
			
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					वेणीर					 :
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					पुं० [सं० वेण+ईन्] १. नीम का पेड़। २. रीठा।				 | 
			
			
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					वेणु					 :
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					पुं० [सं०√अज् (गमन)+णु, अज-वी (वे)] १. बाँस। २. बाँस की बनी हुई वंशी। मुरली। ३. दे० वेणु। वि० वेणुकीय।				 | 
			
			
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					वेणु-बीज					 :
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					पुं० [सं०] बाँस के फूल में होनेवाला दाने जो ज्वार आदि के साथ पीसकर खाये जाते हैं। बाँस का चावल।				 | 
			
			
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					वेणु-मुद्रा					 :
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					स्त्री० [सं०] तान्त्रिकों की एक प्रकार की मुद्रा।				 | 
			
			
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					वेणु-वन					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] ऐसा वन जिसमें बाँसों के बहुत अधिक झुरमुट हों।				 | 
			
			
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					वेणुक					 :
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					पुं० [सं० वेणु+कन्] १. वह लकड़ी या छड़ी जिससे गौ, बैल आदि हाँकते हैं। २. अंकुश। ३. बाँसुरी। ४. इलायची।				 | 
			
			
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					वेणुका					 :
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					स्त्री० [सं० वेणु+कन्+टाप्] १. बाँसुरी। २. हाथी को चलाने का प्राचीन काल का एक प्रकार का दंड जिसमें बाँस का दस्ता लगा होता था। २. जहरीले फलवाला एक प्रकार का वृक्ष।				 | 
			
			
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					वेणुकार					 :
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					पुं० [सं० वेणु√कृ (करना)+अण्, उप० स०] वह व्यक्ति जिसका पेशा बाँसुरी बनाना हो।				 | 
			
			
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					वेणुकीय					 :
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					वि० [सं० वेणुक+छ, छ-ईय] वेणु-संबंधी। वेणु का।				 | 
			
			
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					वेणुज					 :
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					वि० [सं० वेणु√जन्+ड] जो वेणु अर्थात् बाँस से उत्पन्न हो। पुं० १. बाँस के फूल में होनेवाला दाने जो चावल कहलाते है और जो पीसकर ज्वार आदि के आटे के साथ खाये जाते हैं। बाँस का चावल। २. गोल मिर्च।				 | 
			
			
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					वेणुज-मुक्ता					 :
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					स्त्री० [सं० कर्म० स०] बाँस में होनेवाला एक प्रकार का गोलदाना जो प्रायः मोती कहलाता है।				 | 
			
			
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					वेणुप					 :
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					पुं० [सं०] १. एक प्राचीन जनपद (महाभारत) २. उक्त जनपद का निवासी।				 | 
			
			
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					वेणुपुर					 :
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					पुं० [सं०] आधुनिक बेलगाँव का पुराना नाम।				 | 
			
			
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					वेणुमती					 :
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					स्त्री० [सं० वेणु+मतुप्+ङीष्] पश्चिमोत्तर प्रदेश की एक नदी। (पुराण)				 | 
			
			
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					वेणुमान					 :
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					पुं० [सं० वेणुमम्] १. एक पौराणिक पर्व। २. एक पौराणिक कुल या वंश।				 | 
			
			
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					वेण्य					 :
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					स्त्री० [सं० वेणु+यत्] पुराणानुसार विध्यं पर्वत से निकली हुई एक नदी।				 | 
			
			
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					वेण्वा					 :
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					स्त्री० [सं० वेणु+अच्+टाप्] पुराणानुसार पारिपत्र पर्वत की एक नदी।				 | 
			
			
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					वेण्वा-तट					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] वेण्वा नदी के तट पर स्थित एक प्रदेश (महा) २. उक्त देश का निवासी।				 | 
			
			
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