शब्द का अर्थ
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					संड					 :
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					पुं० [सं० शंड] साँड़। पद—संड-मुसंड।				 | 
			
			
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					संड-मुसंड					 :
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					वि० [सं० शुंड, मुशुंडि=हाथी, हिं० संड+मुसंड (अनु०)] हट्टा-कट्टा। मोटा-ताजा।				 | 
			
			
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					सँड़सा					 :
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					पुं० [हिं० सँड़सी] बड़ी सँड़सी।				 | 
			
			
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					सँड़सी					 :
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					स्त्री० [?] रसोई में बरता जाने वाला एक तरह का कैंची नुमा उपकरण जिसके द्वारा बटलोई, तसला आदि चूल्हे पर से उतारे जाते हैं।				 | 
			
			
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					संडा					 :
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					वि० [हिं० साँड़] साँड़ के समान ताकत वाला। हष्ट-पुष्ट। उदा०-मुल्को में सरनाम कि जिनके अधिक विराजे झंडे। जितने चेले गुरु नानक के, सदा बने रहें झंडे। पद—संडा-मुसंडा। पुं० बलवान और हृष्ट-पुष्ट व्यक्ति या प्राणी।				 | 
			
			
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					संड़ाई					 :
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					स्त्री० [हिं० साँड़] मशक की तरह बना हुआ भैंस आदि का वह हवा भरा हुआ चमड़ा जो नदी आदि पार करने के लिए नाव के स्थान पर काम पर लाते हैं।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					संडास					 :
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					पुं०[?]कुएँ की तरह एक प्रकार का गहरा गड्ढा जिसमें लोग मल त्याग करते हैं। शौच-कूप।				 | 
			
			
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					संडास-टंकी					 :
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					स्त्री० [हिं०] एक प्रकार की लोहे की टंकी जिसमें घर भर का मल या पाखाना इकठ्ठा होता रहता है (सेप्टिक टैंक)।				 | 
			
			
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