शब्द का अर्थ
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					संवेश					 :
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					पुं० [सम्√ विश् (घुसना)+घञ] १. पास आना या जाना। पहुँचना। २. प्रवेश। भेंट। ३. आसन लगाना। बैठना। ४. लेटना या सोना। ५. बैठने का आसन या पीढ़ा। ६. काम-शास्त्र में एक प्रकार का रति-बंध। ७. अग्नि देवता जो रति के अधिष्ठाता माने गये हैं।				 | 
			
			
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					संवेशक					 :
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					वि० [सम्√विश्+णिच्-ण्वुल्-अक] चीजें क्रम से तथा यथा-स्थान रखनेवाला।				 | 
			
			
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					संवेशन					 :
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					वि० [सम्√विश्+णिच्-ण्वुल्-अन] [वि० संवेषणीय, संवेश्य, भू० कृ० संवेशित] १. बैठना। २. लेटना या सोना। ३. घुसना। पैठना। ४. स्त्री० संभोग। मैथुन। रति।				 | 
			
			
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					संवेशी					 :
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					वि० [सम्√विश् (रहना)+णिनि]=संवेशक।				 | 
			
			
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					संवेश्य					 :
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					वि० [सम्√विश् (रहना)+ण्यत] १. जिस पर लेटा जा सके। २. जिसके अन्दर घुसा या पैठा जा सके।				 | 
			
			
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