शब्द का अर्थ
|
संसा :
|
पुं० १. =संशय। २. =साँस। ३. =सँड़सा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संसादन :
|
सं० सम्√सद् (गत्यादि)+णिच्-ल्युट्—अन] [वि० संसादनीय, संसाद्य, भू० कृ० संसादित] १. इकट्ठा करना या एकत्र करना। जमा करना० २. क्रम या सिलसिले से रखना या लगाना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संसाधक :
|
वि० [सम्√साध् (सिद्ध करना)+ल्युट्-अक] जीतने या वश में करने वाला। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संसाधन :
|
पुं० [सम्√साध् (सिद्ध करना)+ल्युट्-अन] [वि० संसाधनीय, संसाध्य, भू० कृ० संसाधित] १. कोई काम अच्छी तरह पूरा करना। २. काम करने की तैयारी। आयोजन। ३. जीत या दबाकर वश में करना। दमन करना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संसाधनीय :
|
वि० सम्√साध् (सिद्ध करना)+अनीयर्] =संसाध्य। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संसाध्य :
|
वि० सम्√ साध् (सिद्ध करना)+ण्यत] १. जो काम पूरा किया जा सकता हो या हो सकता हो। २. जो जीता या दबाया जा सकता हो। ३.जो किये जाने योग्य हो। ४.जो जीते या दबाये जाने योग्य हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संसार :
|
पुं० [सं०] १. लगातार एक अवस्था से दूसरी अवस्था में जाते रहना। २. यह जगत या दुनिया जिसमें जीव या प्राणी आते जाते रहते है। इहलोक। मर्त्यलोको। ३. इस संसार में बार-बार जन्म लेने और मरने की अवस्था। ४. जीवन तथा संसार का प्रबंध और माया। ५. घर-गृहस्थी और उसमें का जीवन। उदा—मेरे सपनों में कलरव का संसार आँख जब खोल रहा।—प्रसाद। ६. समूह। (क्व०) ७. दुर्गन्ध खादिर। विट् खादिर। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संसार-गुरु :
|
पुं० [सं०] १. संसार को उपदेश देने वाला। जगदगुरु। २. कामदेव। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संसार-चक्र :
|
पुं० [मध्यम० स०] १. बार-बार इस संसार मे आकर जन्म लेने और मर कर यह संसार छोड़ने का क्रम या चक्र। २. संसार का जंजाल या झंझट। सांसारिक प्रपंच। ३. संसार में होता रहने वाला उलटफेर या परिवर्तन। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संसार-तिलक :
|
पुं० [सं० ष० त०] १. एक प्रकार का बढिया चावल। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संसार-पथ :
|
पुं० [ष० त०] १. संसार में आने का मार्ग। २. स्त्रियो की जननेंद्रिय। भग। योनि। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संसार-भावन :
|
पुं० [सं०] संसार को दुखमय समझना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संसार-सारथि :
|
पुं० [सं०] संसार की जीवन यात्रा चलाने वाला, परमेश्वर। २. शिव। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संसारण :
|
पुं० सम्√सृ (गमनादि)+णिच्-ल्युट्-अन] [भू० कृ० संसारित] गति देना। चलाना। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
संसारी :
|
वि० सम्√सृ (गत्यादि)+णिन् संसार+इनि वा] [स्त्री० संसारिणी] १. संसार संबंधी। लौकिक। सांसारिक। २. घर में रहकर घर-गृहस्थी चलाने या ग्रहस्थ जीवन व्यतीत करने वाला। ३. संसार में आकर बार-बार जन्म लेने और मरने वाला। ४. लोक व्यवहार मे कुशल। दुनियादार। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |