शब्द का अर्थ
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					समर					 :
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					पुं० [सं०] युद्ध। संग्राम। लड़ाई पुं० [सं० स्मर] १. कामदेव २. कामवासना। उदा-समरस समर-सकोच बस बिबस न ठिक ठहराइ।—बिहारी। पुं० [फा०] १. वृक्ष का फल। २. कार्य का परिणाम या फल।				 | 
			
			
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					समरकंद					 :
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					पुं० [फा०] [वि० समरकंदी] तुर्किस्तान का एक इतिहास प्रसिद्ध नगर जो अमीर तैमूर की राज धानी था और अब उजबक (सोवियत) प्रजातंत्र के अंतर्गत है। उजबक पजातंत्र का एक सूबा है।				 | 
			
			
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					समरत्थ					 :
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					वि०=समर्थ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					समरना					 :
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					स०=सुमिरना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) अ० सँवरना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					समरभूमि					 :
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					स्त्री० [सं०] युद्ध-क्षेत्र। लड़ाई का मैदान।				 | 
			
			
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					समरशायी					 :
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					वि० [सं० समरशयिनी] जो युद्ध में मारा गया हो। वीरगति को प्राप्त।				 | 
			
			
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					समरा					 :
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					पुं० [अ० मसरः] नतीजा। परिणाम। फल।				 | 
			
			
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					समरांगण					 :
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					पुं० [सं० कर्म० स० ष० त०] लड़ाई का मैदान। युद्ध-क्षेत्र।				 | 
			
			
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					समराजिर					 :
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					पुं० [सं० कर्म० स०] युद्ध-क्षेत्र।				 | 
			
			
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					समराना					 :
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					स० हि० ‘समरना’ का स०।				 | 
			
			
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					समर्चक					 :
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					वि० पुं० [सं० सम√अर्च (पूजा करना)+ण्वुल—अक] समर्चन या पूजा करनेवाला।				 | 
			
			
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					समर्चन					 :
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					पुं० [सं० सम√अर्च (पूजा करना)+ल्युट-अन] अच्छी तरह अर्चन या पूजा करने का काम।				 | 
			
			
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					समर्चना					 :
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					स्त्री० [सं०]=समर्चन।				 | 
			
			
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					समर्थ					 :
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					वि० [सं०] [भाव० समर्धता] कम दाम का। सस्ता।				 | 
			
			
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					समर्थ					 :
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					वि० [सं० सम√अर्थ (गत्यादि)+अच्] [भाव० समर्थता, सामर्थ्य] १. शक्तिशाली। २. जो कोई काम सम्पादित करने की शक्ति या योग्यता रखता हो। आर्थिक, मानसिक या शारीरिक बल से कुछ कर सकने के योग्य। ३. अनुभव, प्रशिक्षण, आदि द्वारा जिसने किसी पद के कर्तव्यों का निर्वाह करने की योग्यता प्राप्त कर ली हो। ४. लंबा। चौड़ा। प्रशस्त। ५. अभिलषित। ६. युक्ति-संगत।				 | 
			
			
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					समर्थक					 :
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					वि० [सं० समर्थ+कन्] १. जो समर्थन करता हो। समर्थन करनेवाला। २. पुष्टि या पोषण करनेवाला। वि०=समानार्थक। पुं० चन्दन की लकड़ी।				 | 
			
			
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					समर्थता					 :
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					स्त्री० [सं०] समर्थ होने की अवस्था, गुण या भाव। सामर्थ्य। शक्ति। ताकत।				 | 
			
			
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					समर्थन					 :
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					पुं० [सं० सम√अर्थ (गत्यादि)+ल्युट-अन] किसी के प्रस्ताव, मत, विचार के संबंध मे यह कहना कि इससे हमारी भी सहमति है। अनुमोदन। (सेकैंडिंग)।				 | 
			
			
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					समर्थनीय					 :
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					वि० [सं० सम√अर्थ (गत्यादि)+अनीयर्] जिसका समर्थन किया जा सकता हो या हो सकता हो।				 | 
			
			
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					समर्थित					 :
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					भू० कृ० [सं० सम अर्थ (गत्यादि)+क्त] १. जिसका समर्थन किया गया हो। समर्थन किया हुआ। २. जिसका अच्छी तरह विवेचन हुआ हो। विवेचित। ३. स्थिर किया हुआ। निश्चित। ४. जिसकी संभावना हो। संभावित।				 | 
			
			
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					समर्थ्य					 :
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					वि० [सं० सम√अर्थ (गत्यादि)+यत्-व्यत्] जिसका समर्थन किया जा सके या किया जाने को हो।				 | 
			
			
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					समर्द्धक					 :
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					पुं० [सं० सम√ऋध् (बढ़ना)+ण्वुल्-अक] वरदान देनेवाले, देवता आदि।				 | 
			
			
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					समर्पक					 :
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					वि० [सं० सम√अर्प (देना)+णिच्-ण्वुल-अक] [स्त्री० समर्पिका] १. जो समर्पण करता हो। समर्पण करनेवाला। २. कही पहुँचाने के लिए कोई माल देने या भेजनेवाला। परेषक। (कन्साइनर) ३. (काम या बात) जिससे कोई दूसरा काम या बात ठीक तरह से पूरी हो सके या उद्देश्य सिद्ध हो सके। जैसा—समर्पक व्याख्या।				 | 
			
			
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					समर्पण					 :
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					पुं० [सं०] [भू० कृ० समर्पित, वि० समर्पणीय, सामर्प्य, कर्ता समर्पक] १. किसी को आदपूर्वक कुछ देना। भेंट या नजर करना। २. धर्म-भाव से या श्रद्धाभक्ति पूर्वक कुछ कहते हुए अर्पित करना। (डेडिकेशन)। ३. अपना अधिकार, स्वामित्व, भार आदि किसी दूसरे के हाथ में देना। सौंपना। ४. युद्ध, विवाद आदि बंद करके अपने आपको शत्रु या विपक्षीकि के हाथ में सौंपना। (सरेन्डर, अंतिम दोनों अर्थो में) ५. वैष्णवों में किसी भक्त को भगवान के विग्रह के सामने उपस्थित करके उसे नियमित रूप से आचारवान् भक्त या वैष्मव बनाना। ६. स्थापित करना। स्थापना। ७. दे० आत्मसमर्पण।				 | 
			
			
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					समर्पण-मूल्य					 :
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					पुं० [सं०] आधुनिक अर्थ-शास्त्र में वह धन जो बीमा करनेवाले को अवधि पूरी होने से पहले ही अपना बीमा रद्द कराने या बीमा पत्र लौटा देने पर मिलता है। (सरेन्डर वैल्यू)।				 | 
			
			
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					समर्पणी					 :
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					पुं० [सं० समर्पण] वह जो भगवान् का पूरा भक्त और आचारवान् वैष्णव बन गया हो। विशेष० दे० ‘समर्पण’।				 | 
			
			
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					समर्पना					 :
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					स० [सं० समर्पण] १. समर्पण करना। २. सौंपना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					समर्पित					 :
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					भू० कृ० [सं० सम√अर्प (देना)+क्त] १. जो समर्पण किया गया हो। समर्पण किया हुआ। २. स्थापित।				 | 
			
			
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					समर्प्य					 :
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					वि० [सं० सम√अर्प (देना) णिच्-यत्] जो समर्पण किया जा सके या किया जाने के योग्य हो। समर्पण किये जाने के योग्य।				 | 
			
			
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					समर्याद					 :
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					वि० [सं० अव्य० स०] १. मर्यादा-युक्त। २. अच्छे आचरणवाला। सदाचारी। अव्य० निकट। पास। समीप।				 | 
			
			
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