शब्द का अर्थ
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					सरा					 :
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					स्त्री० [सं० शर] चिता।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० [तातारी] १. किला। दुर्ग। २. महल। प्रासाद। जैसे—ख्वाजा सरा, ३. दे० ‘सराय’। पुं०=सर (वाण)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					सराँ-दीप					 :
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					पुं०=स्वर्णद्वीप।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					सराई					 :
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					स्त्री० [सं० शलाका] १. सरकंडे की पतली छड़ी। २. दे० ‘सलाई’। स्त्री० [सं० शराब=प्याला] मिट्टी का प्याला या दीया। सकोरा। स्त्री० [?] पाजामा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					सराक					 :
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					पुं० [सं० शराक या श्रावक] बिहार और बंगाल में रहनेवाली जुलाहों की एक जाति।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					सराख					 :
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					स्त्री०=सलाख।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सराखा					 :
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					वि०=सरीखा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सराँग					 :
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					स्त्री० [सं० शलाका] १. लोहे का एक मोटा छड़ जिसपर पीटकर लोहार बरतन बनाते हैं। २. कोई ऐसी लकड़ी जिसकी सहायता से सीधी रेखाएँ खींची जाती हों। ३. किसी प्रकार का सीधा छड़ या पट्टी। ४. खंभा।				 | 
			
			
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					सराजामा					 :
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					पुं०=सरंजाम।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सराध					 :
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					पुं०=श्राद्ध।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सराना					 :
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					स० [हि० सरना या सारना का प्रे०] (काम) पूरा या संपन्न करना।				 | 
			
			
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					सरापना					 :
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					स० [सं० शाप, हिं० सराप+ना (प्रत्य)] १. शाप देना। बद्दुआ देना। अनिष्ट मनाना। कोसना। २. बुरा-भला कहना और गालियाँ देना।				 | 
			
			
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					सरापा					 :
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					पुं० [फा० सर=सिर+पा०=पैर] किसी के सिर से पैर तक के सब अंगों का काव्यात्मक वर्णन। नख-सिख। अव्य० १. सिर से पैरों तक। २. ऊपर से नीचे तक। ३. आदि से अंत तक।				 | 
			
			
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					सराफ					 :
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					पुं० [अ० सर्राफ] १. सोने-चांदी का व्यापारी। २. वह दूकानदार जो बड़े सिक्कों को कुछ दलाली लेकर छोटे सिक्कों में बदल देना हो। ३. प्रामाणिक और सम्पन्न व्यापारी। ४. अच्छा पारखी।				 | 
			
			
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					सराफा					 :
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					पुं० [अ० सर्राफ़ः] १. सराफ का पेशा। २. वह बाजार जिसमें अनेक सराफों की दूकान हों।				 | 
			
			
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					सराफी					 :
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					स्त्री० [हि० सराफ़+ई (प्रत्य०)] १. सराफ का अर्थात् चाँदी-सोने या सिक्कों आदि के परिवर्तन का रोजगार। २. महाजनों लिपि। मुंडा।				 | 
			
			
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					सराब					 :
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					पुं० [अ०] १. मृगतृष्णा। २. धोखा देनेवाली चीज या बात। ३. धोखेबाजी। स्त्री०=शराब।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सराबोर					 :
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					वि०=शराबोर।				 | 
			
			
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					सराय					 :
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					स्त्री० [तातारी, सरा=दुर्ग या प्रासाद] १. रहने का स्थान। २. मध्ययुग में यात्रियों सौदागरों आदि के ठहरने का स्थान जहाँ उनके खाने-पीने तथा मनोरंजन आदि की व्यवस्था भी होती थी। पद—सराय का कुत्ता=बहुत ही तुच्छ या नीच और स्वार्थी व्यक्ति।				 | 
			
			
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					सरायत					 :
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					स्त्री० [अ०] प्रवेश करना। घुसना। पैठना।				 | 
			
			
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					सरार					 :
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					पुं० [देश] घोड़ा-बेल नाम की लता जिसकी जड़ बिलाई कंद कहलाती है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सराव					 :
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					पुं० [सं० शराब] १. मद्यपान। शराब पीने का प्याला। २. कटोरा। ३. कसोरा। दीया। ४. एक प्रकार की पुरानी तौल जो ६४ तोले की होती थी। पुं० [?] एक प्रकार का जंगली डरपोक और सीधा जानवर जो बकरी और हिरन दोनों से कुछ-कुछ मिलता तथा हिमालय के पहाड़ों में पाया जाता है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सरावग					 :
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					पुं०=श्रावक (जैन)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सरावगी					 :
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					पुं० [सं० श्रावक] श्रावक धर्मावलंबी। जैन।				 | 
			
			
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					सरावना					 :
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					पुं० [सं० सरण, हि० सरना] पाटा। हेंगा।				 | 
			
			
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					सरास					 :
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					पुं० [?] भूसी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सरासन					 :
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					पुं०=शरासन (धनुष)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सरासर					 :
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					अव्य० [फा०] १. एक सिरे से दूसरे सिरे तक। यहाँ से वहाँ तक। २. एक सिरे से। पूर्णतया। बिलकुल। जैसा—सरदार झूठ बोलना। ३. प्रत्यक्ष। साक्षात्। जैसा—यह तो सरासर जबरदस्ती है।				 | 
			
			
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					सरासरी					 :
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					स्त्री० [फा०] १. सरासर होने की अवस्था या भाव। २. किसी काम या बात में की जानेवाली ऐसी तीव्रता और शीघ्रता जिसमें ब्यौरे की बातों पर विशेष ध्यान न दिया जाय। अव्य० १. जल्दी में। २. मोटे हिसाब से। अनुमानतः।				 | 
			
			
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					सराह					 :
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					स्त्री०=सराहना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सराहत					 :
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					स्त्री० [अ०] किसी बात को स्पष्ट करने के लिए की जानेवाली उसकी व्याख्या। स्पष्टीकरण।				 | 
			
			
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					सराहना					 :
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					स० [सं० श्लाघन] तारीफ करना। बड़ाई करना। प्रशंसा करना। स्त्री० तारीफ। प्रशंसा।				 | 
			
			
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					सराहनीय					 :
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					वि० [बंगला से गृहीत] १. प्रशंसा के योग्य। तारीफ के लायक। श्लाघनीय। प्रशंसनीय। २. अच्छा। बढ़िया। (असिद्ध रूप)।				 | 
			
			
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