शब्द का अर्थ
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साद :
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पुं० [सं० सादः] १. अस्त होना। डूबना। २. क्लांति। थकवाट। ३. विषाद। ४. क्षीणता। ५. नाश। ६. नष्ट। पीड़ा। ७. विशुद्धता। ८. स्वच्छता। ९. क्षरण। १॰. दे० ‘अवसाद’। पुं० १.=शब्द। (राज०) २.=स्वाद।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) वि० [अ०] १. अच्छा। भला। २. मांगलिक। शुभ। पुं० अरबी वर्ण-माला का एक वर्ण जिसका उच्चारण ‘स’ के समान होता है और जिसका उपयोग लाक्षणिक रूप में किसी बात को ठीक मानकर उससे अपनी सहमति प्रकट करने के लिए होता है। जैसे—उस्ताद ने उसकी बात का साद किया। |
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समानार्थी शब्द-
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सादक :
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वि० [सं०] निःशक्त या शिथिल करनेवाला। |
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सादगी :
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स्त्री० [फा० सादा का भाववाचक रूप] १. सादा होने की अवस्था, गुण या भाव। सादापन। सरलता। २. आचरण, व्यवहार आदि की निष्कपटता और सिधाई। ३. खान-पान, रहन-सहन आदि में आडंबर, तड़-भड़क, कृत्रिमता आदि का होनेवाला अभाव। |
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सादन :
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पुं० [सं०] [भू० कृ०] १. नष्ट करना। २. क्लांत होना। थकना। ३. थकावट। ४. पात्र। बरतन। ५. सदन (घर या मकान)। |
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सादर :
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अव्य० [सं० स+आदर] आदरपूर्वक। इज्जत से। जैसे—सादर नमस्कार या प्रणाम। |
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सादरा :
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पुं० [?] उच्च शास्त्रीय संगीत में, एक विशिष्ट प्रकार की गायनशैली जिसके गाने या पद अनेक राग-रागिनियों में निबद्ध होते हैं। |
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सादा :
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वि० [सं० साधु से फा० साद] [स्त्री० सादी] १. जिसमें एक ही तत्त्व हो या एक ही प्रकार के तत्त्व हों। जिसमें औरों का मेल या योग न हो। जैसे—सादा पानी। २. जिसमें किसी तरह की उलझन, झंझट, पेंच की बात या बनावट न हो। सरल। जैसे—सादा हिसाब। ३. जिसकी बनावट या रचना में स्वाभाविकता ही हो, विशेष कौशल न हो। ४. जिस पर किसी तरह के बेल-बूटे, सजावट आदि का काम न हो। जिस पर किसी प्रकार का अंकन न हो। जैसे—सादे कपड़े, सादा कागज। ५. जिसे समझनें मे विशेष कठिनता न हो। ६. (व्यक्ति) जो छल-कपट से रहित हो। सरल। सीधा। (सिम्पुल) पद—सीधा-सादा। (देखें) ७. बुद्धि और विवेक से रहित। ना-समझ। मूर्ख। (पश्चिम) जैसे—यहाँ कौन सा सादा है जो तुम्हारी ये बातें मान लेगा। |
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सादात :
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पुं० [अ०] सैयद जाति या वंश। |
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सादापन :
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पुं० [फा० सादा+हिं० पन (प्रत्य०)] सादगी। (दे०) |
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सादाशिव :
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वि० [सं० सदाशिव+अव्] सदाशिव-संबंधी। |
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सादिक :
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वि० [अ०] १. सच्चा। २. ठीक। दुरुस्त। मुहा०—सादिक आना= (क) सत्य रूप में घटित होना। (ख) ठीक आना। पूरा उतरना। |
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सादिर :
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वि० [अ०] १. बाहर निकलनेवाला। २. जारी किया हुआ। जैसे—हुक्म हाजिर होना। |
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सादी :
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स्त्री० [हिं० सादा] १. वह पूरी या रोटी जिसके अन्दर पूरन या कोई चीज भरी न हो। ‘कचौरी’ का विपर्याय। २. लाल नामक पक्षी की मादा जिसके शरीर पर चित्तियाँ नहीं होतीं। मुनियाँ। सदिया। पुं० [सं० सदिः] १. रथ चलानेवाला। सारथी। २. योद्धा। ३. हवा। वायु। पुं० [फा० सद=शिकार] १. शिकारी। २. घोड़ा। ३. सवार। (डिं०) स्त्री०=शादी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सादी सजा :
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स्त्री० [हिं०+फा०] कारावास का ऐसा दंड (कड़ी सजा से भिन्न) जिसमें कैदी को कोई काम न करना पड़ता हो। (सिम्पुल इम्प्रिजन्मेन्ट) |
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सादूर :
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पुं०=सार्दूल (सिंह)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सादृश्य :
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पुं० [सं०] १. सदृश्य होने की अवस्था, गुण या भाव। एकरूपता। (सिमिलेरिटी) २. तुलना। बराबरी। ३. मृग। हिरन। |
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साद्यंत :
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वि० [सं०] आदि से अंत तक का अर्थात् संपूर्ण। सारा। अव्य० आदि से अंत तक। |
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साद्यस्क :
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वि० [सं० ब० स०]=सद्यस्क। |
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