शब्द का अर्थ
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					सिलह					 :
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					पुं० [अ० सिलाह] १. हथियार। शास्त्र। २. कवच। (राज०)				 | 
			
			
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					सिलहकी					 :
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					स्त्री० [सं० सिल्हक ङीष]=सिलहक।				 | 
			
			
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					सिलहखाना					 :
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					पुं० [अ० सिलाह+फा० खानः] वह स्थान जहाँ सब तरह के बहुत से हथियार रखे जाते हैं। शस्त्रागार।				 | 
			
			
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					सिलहट					 :
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					पुं० [?] १. असम प्रदेश का एक नगर। २. उक्त नगर के आस-पास की नारंगी जो बहुत बढ़िया होती है। ३. एक प्रकार का अगहनी धान।				 | 
			
			
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					सिलहबंद					 :
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					वि० [अ० सिलह+फा० बंद] सशस्त्र। हथियारबंद। शस्त्रों से सुसज्जित।				 | 
			
			
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					सिलहसाज					 :
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					पुं० [अ० सिलह+फा० साज] [भाव० सिलहसाजी] हथियार बनाने वाला कारीगर।				 | 
			
			
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					सिलहार, सिलहार					 :
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					वि० दे० ‘सिलाहर’।				 | 
			
			
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					सिलहिला					 :
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					वि० [हिं० सील,सीड+हीला=कीचड़] [स्त्री०सिलहिली] (स्थान) जिस पर पैर फिसले। रपटन वाला। कीचड़ से चिकना।				 | 
			
			
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					सिलही					 :
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					स्त्री० [देश] बतख की जाति का एक प्रकार का पक्षी जो प्रायः जलाशयों के पास रहता है और सिवार खाता है।				 | 
			
			
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