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शब्द का अर्थ

सीक  : पुं० १. =शीत। २. =शिव। स्त्री०=सीमा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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सीक  : पुं० [सं० इषीक] तीर। उदा०—सींक धनुष सायक संधाना।—तुलसी स्त्री० सींक।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सीकचा  : पुं० [हिं० सीखचा] १ सीखचा। लोहे का छड़। २ बरामदे आदि के किनारे आड़ के लिए लगाया हुआ लकड़ी का वह ढाँचा जिसमें छड़ लगे होते हैं।
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सीकर  : पुं० [सं० सीक सींचना)+अन्] १. पानी की बूँदे। जल-कण। २. पसीने की बूँदे। स्वेद-कर्ण। पुं०=सिक्कड़।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सीकल  : पुं० [देश०] डाल का पका हुआ आम। स्त्री० दे० ‘सिकली’।
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सीकस  : पुं० [देश०] ऊसर।
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सीका  : पुं० [सं० शीर्षक] सोने का एक आभूषण जो सिर पर पहना जाता है। पुं० [स्त्री० अल्पा० सीकी]=छींका। पुं०=सींका। पुं० [देश०] चवन्नी। (दलाल)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सीका-काई  : स्त्री० [?] एक प्रकार का वृक्ष जिसकी फलियाँ रीठे की तरह सिर के बाल आदि मलने के काम आती हैं।
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सीकी  : स्त्री० [हिं० सीका] चवन्नी। (दलाल)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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सीकुर  : पुं० [सं०शूक] गेहूँ, जौं, धान आदि की बालों में निकलने वाला सूत की तरह पतले और नुकीले अंग।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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