शब्द का अर्थ
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					स्फोट					 :
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					पुं० [सं०] [वि० स्फुट] १. अंदर से भर जाने के कारण किसी वस्तु के ऊपरी आवरण का फटना या उसमें की चीज का वेगपूर्वक बाहर निकलना। फूटना। (इरप्शन) जैसे–ज्वालामुखी का स्फोट। २. शरीर पर होनेवाला फोड़ा। ३. साधना के क्षेत्र में उपाधिरहित शब्दतत्त्व। ओंकार। प्रणव। ४. मोती।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					स्फोटक					 :
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					वि० [सं०] स्फोट उत्पन्न करनेवाला। पुं० १. शरीर में होनेवाला फोड़ा। २. भिलावाँ।				 | 
			
			
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					स्फोटन					 :
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					पुं० [सं०] १. स्फोट उत्पन्न करने की क्रिया या भाव। २. विदीर्ण करना। फाड़ना। ३. सामने लाना। प्रकट करना। ४. सुश्रुत के अनुसार वायु के प्रकोप से सिर में होनेवाली पीड़ा, जिसमें वह फटता हुआ सा जान पड़ता है।				 | 
			
			
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					स्फोटवाद					 :
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					पुं० [सं०] [स्फोटवादी] यह दार्शनिक मत या सिद्धान्त की सारी सृष्टि की उत्पत्ति स्फोट अर्थात् अनित्य देवी शब्द से ही हुई है।				 | 
			
			
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					स्फोटा					 :
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					स्त्री० [सं०] १. साँप का फन। २. सफेद अनन्तमूल।				 | 
			
			
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					स्फोटिक					 :
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					पुं० [सं०] पत्थर, जमीन आदि तोड़ने फोड़ने का काम।				 | 
			
			
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					स्फोटिका					 :
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					स्त्री० [सं०] छोटा फोड़ा। फुंसी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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