आसंग/aasang

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आसंग  : पुं० [सं० आ√संज्(मिलना)+घञ्] १. संग या साथ रहने की क्रिया या भाव। २. लगाव। संपर्क। ३. किसी काम, विशेषतः भोग-विलास के प्रति होनेवाली तीव्र प्रवृत्ति या लीनता। आसक्ति। लिप्पता। ४. यह समझना कि अमुक कार्य विशेष रूप से मैंने ही किया है। अपने कर्तृव्य का अभिमान। ५. मुलतानी मिट्टी। ६. सुगंधित मिट्टी। ७. दे० आसंजन। अव्य० निरंतर। बराबर। लगातार।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
आसंगत्य  : पुं० [सं० असंगत+ष्यञ्] १. असंगत होने की अवस्था या भाव। २. वियोग।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
आसंगी (गिन्)  : वि० [सं० आ√संज्+णिनि] आसंग (विशेष प्रवृत्ति या संपर्क) रखनेवाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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