उठना/uthana

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उठना  : अ० [सं० उत्+स्था, उत्थ, उत्था, प्रा० उट्ठ+ना० प्रत्यय, पं० उठ्ठना, मरा० उठणें, गुज० उठवुँ] १. नीचे के तल या स्तर से ऊपर के तल या स्तर की ओर चलना या बढ़ना। ऊँचाई की ओर अथवा ऊपर जाना या बढ़ना। जैसे—हवा में धुआँ या धूल उठना, समुद्र में लहरें उठना, ताप-मापक यंत्र का पारा उठना आदि। विशेष—इस अर्थ में यह शब्द कुछ विशिष्ट क्रियाओं के साथ संयोज्य क्रिया के रूप में लगकर ये अर्थ देता है—(क) आकस्मिक रूप से या सहसा होनेवाला वेग। जैसे—चिल्ला उठना-सहसा जोर से चिल्लाना। (ख) पूरी तरह से या स्पष्ट रूप से प्रत्यक्ष होना या सामने आना। जैसे—यह सुनते ही उनका चेहरा खिल उठा। २. गिरे, झुके, बैठे या लेटे होने की स्थिति में खड़े होने या चलने की स्थिति में आना। कहीं चलने या जाने के विचार से पैरों के बल सीधे खड़े होना। जैसे—(क) वह गिरते ही फिर उठा। (ख) सब लोग उनका स्वागत करने के लिए उठे। (ग) वह अभी सोकर उठा है। (घ) बारात अभी घंटे भर में उठेगी। मुहावरा—(किसी के साथ) उठना=बैठना-मेल-जोल और संग-साथ रखना। जैसे—जिनके साथ रोज का उठना-बैठना हो, उनसे झगड़ा नहीं चाहिए। पद—उठते-बैठते-नित्य के व्यवहार में, प्रायः हर समय। जैसे—वह उठते-बैठते भगवान का नाम जपते रहते हैं। ३. कुछ करने के लिए उद्यत, प्रस्तुत या सन्नद्ध होना। जैसे—(क) किसी को मारने उठना। (ख) चंदा करने उठना। उदाहरण—उठहु राम, भंजहु भव-चापू।—तुलसी। मुहावरा—उठ खड़े होना=कहीं से चलने या कोई काम करने के लिए तैयार होना। ४. बेहोश पड़े या मरे हुए व्यक्ति का फिर से होश में आकर या जीवित होकर खड़े होना। उदाहरण—तुरत उठे लछिमन हरखाई।—तुलसी। ५. अवनत या गिरी हुई दशा से उन्नत या अच्छी दशा में आना। उन्नति करना। जैसे—अफ्रीका और एशिया के अनेक पिछड़े हुए देश अब जल्दी जल्दी उठने लगे हैं। ६. आकाशस्थ ग्रह-नक्षत्रों आदि का क्षितिज से ऊपर आना। उदित होना। निकलना। जैसे—संध्या होने पर चंद्रमा या सपेरा होने पर सूर्य उठना। ७. निर्माण या रचना की दशा में क्रमशः ऊँचा होना या ऊपर की ओर बढ़ना। जैसे—दीवार या मकान उठना। ८. उभार, विकास या वृद्धि के क्रम में आगे की ओर बढ़ना। जैसे—उठता हुआ पौधा, उठती हुई जवानी। ९. भाव, विचार आदि का मन या मस्तिष्क में आना। उदभूत होना। जैसे—(क) अभी मेरे मन में एक और बात उठ रही है। (ख) उनके मन में नित्य नये विचार उठते रहते थे। १. ध्यान या स्मृति में आना। याद आना। जैसे—वह श्लोक, मुझे याद तो था, पर इस समय उठ नहीं रहा है। ११. चर्चा या प्रसंग छिड़ना। जैसे—तुम्हारें यहाँ तो नित्य नई एक बात उठती है। १२. अचानक अस्तित्व में आकर अनुभूत, दृश्य या प्रत्यक्ष होना। जैसे—(क) आकाश में आँधी और बादल उठना। (ख) देश या नगर में उपद्रव उठना। (ग) पेट या सिर में दरद उठना। (घ) बदन में खुजली उठना। १३. अच्छी तरह या स्पष्ट रूप से दृश्य होना। दिखाई पड़ने के योग्य होना। जैसे—कागज पर छापे के अक्षर उठना। १४. ध्वनि शब्द स्वर आदि का कुछ जोर से अनुरणित या उच्चरित होना। जैसे—चारों ओर से आवाज या शोर उठना। १५. किसी वस्तु का ऐसी स्थिति में आना या होना कि पारिश्रमिक, मूल्य, लाभ आदि के रूप उससे कुछ धन प्राप्त हो सके। जैसे—(क) किराये पर मकान या दुकान उठना। (ख) बेची जानेवाली चीज के दाम उठना। १६. किसी वस्तु का ऐसी स्थिति में होना कि उसका वहन हो सके। बोझ या भार के रूप में वहित या सह्य होना। जैसे—इतना बोझ हमसे न उठेगा। १७. मादा पशुओं आदि का उमंग में आकर संभोग के लिए प्रवृत्त या गर्भधारण के लिए आतुर होना। जैसे—गाय, घोड़ी या भैंस का उठना। १८. तर या भीगी हुई चीज के कुछ सड़ने के कारण उसमें विशिष्ट प्रकार का रासायनिक परिवर्त्तन होना। खमीर या सड़ाव आना। जैसे—मद्य बनाने में महुए का पाँस उठना या गरमी के दिनों में रात भर पड़े रहने के कारण गूँधा हुआ आटा उठना। १९. उपयोग में आने के कारण कम होना। खर्च या व्यय होना। जैसे—जरा सी बात में सैकड़ों रुपए उठ गये। २0० ऐसे कार्यों का बंद या स्थगित होना जो कुछ समय तक लगातार बैठकर किये जाते हों। अधिवेशन, बैठक आदि का नियमित या नियत रूप से समाप्त होना। जैसे—अब तो कचहरी (या सभा) के उठने का समय हो रहा है। २१. अंत या समाप्ति हो जाना। न रह जाना। जैसे—(क) उनका कारोबार (या दफ्तर) उठ गया। (ख) अब पुरानी प्रथाएँ उठती जाती हैं। मुहावरा—(किसी व्यक्ति का) इस लोक या संसार से उठना=(परलोक में जाने के लिए) यह लोक छोड़कर चले जाना। मर जाना। स्वर्गवास होना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उठना  : अ० [सं० उत्+स्था, उत्थ, उत्था, प्रा० उट्ठ+ना० प्रत्यय, पं० उठ्ठना, मरा० उठणें, गुज० उठवुँ] १. नीचे के तल या स्तर से ऊपर के तल या स्तर की ओर चलना या बढ़ना। ऊँचाई की ओर अथवा ऊपर जाना या बढ़ना। जैसे—हवा में धुआँ या धूल उठना, समुद्र में लहरें उठना, ताप-मापक यंत्र का पारा उठना आदि। विशेष—इस अर्थ में यह शब्द कुछ विशिष्ट क्रियाओं के साथ संयोज्य क्रिया के रूप में लगकर ये अर्थ देता है—(क) आकस्मिक रूप से या सहसा होनेवाला वेग। जैसे—चिल्ला उठना-सहसा जोर से चिल्लाना। (ख) पूरी तरह से या स्पष्ट रूप से प्रत्यक्ष होना या सामने आना। जैसे—यह सुनते ही उनका चेहरा खिल उठा। २. गिरे, झुके, बैठे या लेटे होने की स्थिति में खड़े होने या चलने की स्थिति में आना। कहीं चलने या जाने के विचार से पैरों के बल सीधे खड़े होना। जैसे—(क) वह गिरते ही फिर उठा। (ख) सब लोग उनका स्वागत करने के लिए उठे। (ग) वह अभी सोकर उठा है। (घ) बारात अभी घंटे भर में उठेगी। मुहावरा—(किसी के साथ) उठना=बैठना-मेल-जोल और संग-साथ रखना। जैसे—जिनके साथ रोज का उठना-बैठना हो, उनसे झगड़ा नहीं चाहिए। पद—उठते-बैठते-नित्य के व्यवहार में, प्रायः हर समय। जैसे—वह उठते-बैठते भगवान का नाम जपते रहते हैं। ३. कुछ करने के लिए उद्यत, प्रस्तुत या सन्नद्ध होना। जैसे—(क) किसी को मारने उठना। (ख) चंदा करने उठना। उदाहरण—उठहु राम, भंजहु भव-चापू।—तुलसी। मुहावरा—उठ खड़े होना=कहीं से चलने या कोई काम करने के लिए तैयार होना। ४. बेहोश पड़े या मरे हुए व्यक्ति का फिर से होश में आकर या जीवित होकर खड़े होना। उदाहरण—तुरत उठे लछिमन हरखाई।—तुलसी। ५. अवनत या गिरी हुई दशा से उन्नत या अच्छी दशा में आना। उन्नति करना। जैसे—अफ्रीका और एशिया के अनेक पिछड़े हुए देश अब जल्दी जल्दी उठने लगे हैं। ६. आकाशस्थ ग्रह-नक्षत्रों आदि का क्षितिज से ऊपर आना। उदित होना। निकलना। जैसे—संध्या होने पर चंद्रमा या सपेरा होने पर सूर्य उठना। ७. निर्माण या रचना की दशा में क्रमशः ऊँचा होना या ऊपर की ओर बढ़ना। जैसे—दीवार या मकान उठना। ८. उभार, विकास या वृद्धि के क्रम में आगे की ओर बढ़ना। जैसे—उठता हुआ पौधा, उठती हुई जवानी। ९. भाव, विचार आदि का मन या मस्तिष्क में आना। उदभूत होना। जैसे—(क) अभी मेरे मन में एक और बात उठ रही है। (ख) उनके मन में नित्य नये विचार उठते रहते थे। १. ध्यान या स्मृति में आना। याद आना। जैसे—वह श्लोक, मुझे याद तो था, पर इस समय उठ नहीं रहा है। ११. चर्चा या प्रसंग छिड़ना। जैसे—तुम्हारें यहाँ तो नित्य नई एक बात उठती है। १२. अचानक अस्तित्व में आकर अनुभूत, दृश्य या प्रत्यक्ष होना। जैसे—(क) आकाश में आँधी और बादल उठना। (ख) देश या नगर में उपद्रव उठना। (ग) पेट या सिर में दरद उठना। (घ) बदन में खुजली उठना। १३. अच्छी तरह या स्पष्ट रूप से दृश्य होना। दिखाई पड़ने के योग्य होना। जैसे—कागज पर छापे के अक्षर उठना। १४. ध्वनि शब्द स्वर आदि का कुछ जोर से अनुरणित या उच्चरित होना। जैसे—चारों ओर से आवाज या शोर उठना। १५. किसी वस्तु का ऐसी स्थिति में आना या होना कि पारिश्रमिक, मूल्य, लाभ आदि के रूप उससे कुछ धन प्राप्त हो सके। जैसे—(क) किराये पर मकान या दुकान उठना। (ख) बेची जानेवाली चीज के दाम उठना। १६. किसी वस्तु का ऐसी स्थिति में होना कि उसका वहन हो सके। बोझ या भार के रूप में वहित या सह्य होना। जैसे—इतना बोझ हमसे न उठेगा। १७. मादा पशुओं आदि का उमंग में आकर संभोग के लिए प्रवृत्त या गर्भधारण के लिए आतुर होना। जैसे—गाय, घोड़ी या भैंस का उठना। १८. तर या भीगी हुई चीज के कुछ सड़ने के कारण उसमें विशिष्ट प्रकार का रासायनिक परिवर्त्तन होना। खमीर या सड़ाव आना। जैसे—मद्य बनाने में महुए का पाँस उठना या गरमी के दिनों में रात भर पड़े रहने के कारण गूँधा हुआ आटा उठना। १९. उपयोग में आने के कारण कम होना। खर्च या व्यय होना। जैसे—जरा सी बात में सैकड़ों रुपए उठ गये। २0० ऐसे कार्यों का बंद या स्थगित होना जो कुछ समय तक लगातार बैठकर किये जाते हों। अधिवेशन, बैठक आदि का नियमित या नियत रूप से समाप्त होना। जैसे—अब तो कचहरी (या सभा) के उठने का समय हो रहा है। २१. अंत या समाप्ति हो जाना। न रह जाना। जैसे—(क) उनका कारोबार (या दफ्तर) उठ गया। (ख) अब पुरानी प्रथाएँ उठती जाती हैं। मुहावरा—(किसी व्यक्ति का) इस लोक या संसार से उठना=(परलोक में जाने के लिए) यह लोक छोड़कर चले जाना। मर जाना। स्वर्गवास होना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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