कोइल/koil

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कोइल  : स्त्री० [कुंडली] १. वह गोल छेददार लकड़ी जो मक्खन निकालने के समय दूध के मटके के मुँह पर रक्खी जाती है। २. करघे में वह लकड़ी जो ढरकी के बगल में लगी रहती है। (जुलाहा)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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कोइलरि  : स्त्री०=कोयल।
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कोइलाँस  : पुं० =कोइली।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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कोइला  : पुं० =कोयला।
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कोइलारी  : स्त्री० [हिं० कोलना] १. पशुओं के गले में डाली जानेवाली रस्सी का फंदा। २. लकड़ी का वह गोल कड़ा, जिसे हरहाये चौपायों के गँराव में इसलिए फँसा देते है कि झटका देने या खींचने से उनका गला दबे।
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कोइलि  : स्त्री० १. =कोयल। २. =कोइली।
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कोइलिया  : स्त्री०=कोयल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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कोइली  : स्त्री० [हिं० कोयल] १. वह कच्चा आम जिसमें पत्तों आदि की रगड़ के कारण काला दाग पड़ गया हो। २. आम की गुठली।
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