शब्द का अर्थ
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खंग :
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पुं० [सं० खग्ङ] १. तलवार। २. गैंडा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
खंगड़ा :
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वि० [?] १. उजड्ड। २. उद्दंड। पुं० दे.‘अंगड़-खंगड़’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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खँगना :
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अ० [सं० क्षय] कम होना। घटना। छीजना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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खंगर :
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पुं० [देश.] १. एक साथ चिपकी और पकी हुई कई ईंटें या उनके टुकड़े। वि० १. सूखा। शुष्क। २. दुबला-पतला। क्षीण। मुहावरा–खंगर लगना= सूखा नामक रोग होना, जिससे शरीर दिन पर दिन दुबला होता जाता है। |
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खँगवा :
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पुं० [देश.] पशुओं के खुर पकने का एक रोग। |
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खँगहा :
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वि० [हिं० खाँग+हा (प्रत्य)] (पशु) जिसे खाँग हो या निकला हो। पुं० १. गैंडा। २. सूअर। ३. मुर्गा। |
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खँगारना :
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स.= खँगालना। |
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खँगालना :
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स० [सं० क्षालन; गु.खंखाडवूँ; मरा.खंगड़णें] १. किसी पात्र के अंदर पानी डालकर उसे हिला-डुला कर थोड़ा धोना। २. पानी से भरे हुए बरतन में कोई चीज डुबाकर उसे हलका या थोड़ा धोना। ३. ऐसा काम करना कि किसी के घर की चीजें निकलकर इधर-उधर हो जाएँ। चालाकी से सब कुछ ले लेना या नष्ट कर देना। ४. अंदर की चीज हिला-डुलाकर बाहर निकालना। |
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खँगी :
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स्त्री० [हिं० खँगना] खँगने अर्थात् कम होने या छीजने की अवस्था, क्रिया या भाव। कमी। छीज। |
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खँगैल :
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वि० [हिं० खाँग] १. (पशु) जो खाँग या लंबे दाँतों से युक्त हो। जैसे–गैंडा हाथी आदि। २. (पशु) जो खँगवा रोग से पीड़ित हो। |
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खँगौरिया :
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स्त्री०=हँसली। (गहना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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