शब्द का अर्थ
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खंभ :
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पुं० [सं० स्कंध, प्रा.खंभ] १. स्तंभ। खंभा। २. किसी चीज को पकड़े या रोके रहने वाला सहारा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
खंभा :
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पुं० [सं० स्कंभ] १. ईट, पत्थर, लकड़ी, लोहे आदि की बनी हुई गोल या चौकोर रचना जिस पर छत आदि टिकी रहती है। २. ऐसा आधार जो अपने ऊपर कोई बड़ी या भारी चीज लिये या सँभाले हुए हों। |
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खंभात :
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पुं० [सं० स्कंभावती] गुजरात का वह पश्चिमी प्रान्त या भाग जो इसी नाम की खाड़ी के किनारे है। |
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खंभायची कान्हड़ा :
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पुं०=खम्भाच कान्हड़ा। |
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खँभारा :
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पुं० [सं० क्षोभ, प्रा० खोभ] १. क्षोभ। २. घबराहठ। बेचैनी। ३.भय या उसके कारण होने वाली चिन्ता। आशंका। ४. खेद रंज या शोक। पुं० =गंभारी (वृक्ष)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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खंभारी :
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स्त्री० [सं० काश्मरी, प्रा. कम्हरी]=गंभारी। |
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खंभावती :
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स्त्री० [सं० स्कंभावती] ओड़व संपूर्ण जाति की एक रागिनी। जो रात के दूसरे पहर में गाई जाती है। |
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खँभिया :
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स्त्री० [हिं० खंभा] १. खंभा या अल्पार्थक रूप। छोटा या पतला खंभा। २. खूँटा। |
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खंभेली :
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स्त्री० =खँभिया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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