शब्द का अर्थ
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खड़ी :
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स्त्री० [हिं० खड़िया] खड़िया (मिट्टी)। स्त्री० [हिं० खड़ा] छोटा पहाड़। पहाड़ी। स्त्री० =बारह-खड़ी। वि० [हिं.खड़ा का स्त्रीलिंग रूप] दे ‘खड़ा’। |
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समानार्थी शब्द-
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खड़ी चढ़ाई :
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स्त्री० [हिं० खड़ी+चढ़ाई] वह भूमि जो थोड़ी ढालुआ होने पर भी बहुत-कुछ सीधी ऊपर की ओर गई हो। |
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खड़ी डंकी :
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स्त्री० [देश.] मालखंभ की एक कसरत। |
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खड़ी तैराकी :
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स्त्री० [हिं० खड़ी तैराकी] जल में सीधे खड़े होकर पैरों के द्वारा तैरने की क्रिया या भाव। |
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खड़ी पाई :
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स्त्री० [हिं०] १. खड़े-बल में सीधी छोटी रेखा। २. इस प्रकार (।) खींची जानेवाली वह रेखा जो लिकते समय किसी वाक्य के समाप्त होने पर लगाई जाती है। पूर्ण विराम। |
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खड़ी फसल :
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स्त्री० [हिं०] खेत की वह उपज या पैदावार जो तैयार हो गई हो परन्तु अभी काटी न गई हो। (स्टैडिंग क्राप) |
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खड़ी बोली :
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स्त्री० [हिं० खड़ी+बोली] १. मेरठ, बिजनौर, मुजफ्फर नगर, सहारनपुर, अम्बाला, पटियाला के पूर्वी भागों तथा रामपुर, मुरादाबाद आदि प्रदेशों के आसपास की बोली। २. उक्त बोली का परिष्कृत, सांस्कृतिक तथा साहित्यिक रूप जिसे आजकल हिन्दी कहा जाता है। ३.नागरी अक्षरों में लिखी हुई उक्त भाषा। |
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खड़ी मसकली :
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स्त्री० [हिं० खड़ा+ अ० मसकला=रेती] सिकली करनेवालों का एक प्रकार का एक औंजार जिससे बरतनों आदि को खुरचकर जिला करते हैं। |
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खड़ी सवारी :
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पद दे.खड़ा के अन्तर्गत। |
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खड़ी हुंड़ी :
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स्त्री० [हिं० खड़ी+हुंड़ी] ऐसी हुंड़ी जिसके रुपयों का अभी तक भुगतान न हुआ हो। |
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