शब्द का अर्थ
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खरी :
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स्त्री० [सं० खर+ङीष्] गधी। स्त्री० [देश०] एक प्रकार का ऊख। स्त्री० =खली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
खरी जंघ :
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पुं० [ब० स०] शिव। |
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खरी-विषाण :
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पुं० [सं० ष० त०] ऐसी वस्तु जिसका उसी प्रकार अस्तित्व न हो जिस प्रकार गधी या गधे के सिर पर सींग नहीं होता है। |
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खरीक :
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पुं० [सं, खर] तिनका।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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खरीता :
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पुं० [अ० खरीतः] [स्त्री० अल्पा० खरीती] १. थैली। २. जेब। खीसा। ३. बड़ा लिफाफा, विशेषतः वह लिफाफा जिसमें राजाओं के आदेश पत्र आदि भरकर भेजे जाते थे। |
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खरीतिया :
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पुं० [अ० खरीता] मुसलमानी शासन काल का एक प्रकार का कर जो अकबर ने उठा दिया था।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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खरीद :
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स्त्री० [फा०] १. खरीदने की क्रिया या भाव। क्रय। २. वह जो कुछ खरीदा जाए। जैसे– यह सौ रुपये की खरीद है। ३. वह मूल्य जिसपर कोई वस्तु खरीदी जाए। जैसे– दस रुपये तो इसकी खरीद है। |
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खरीददार :
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पुं० [फा०] १. जो कोई वस्तु खरीदता हो। ग्राहक। २. गुणग्राहक। चाहनेवाला। |
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खरीदना :
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स० [फा० खरीदन] मोल लेना। क्रय करना। |
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खरीदार :
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पुं०=खरीददार। |
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खरीदारी :
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स्त्री० [फा०] कोई वस्तु खरीदने की क्रिया या भाव। खरीदने का काम। |
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खरीफ :
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स्त्री० [ अ० खरीफ] १. वह फसल जो आषाढ़ से आधे अगहन के बीच में तैयार होती है। जैसे– धान, मकाई, बाजरा, उर्द, मोठ, मूँग आदि। २. आषाढ़ से आधे अगहन तक की अवधि या भोगकाल। |
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खरीम :
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स्त्री० [देश] मुरगे की तरह की एक चिड़िया जो प्रायः पानी के किनारे रहती है। |
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खरील :
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पुं० [देश०] सिर पर पहनने की एक प्रकार की बेंदी। (गहना)। |
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