शब्द का अर्थ
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खल :
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वि० [सं०√खल् (चलना, गिरना)+अच्] [भाव० खलता] १. क्रूर और दुष्टस्वभाव वाला। दुर्जन। पाजी। लुच्चा। २. अधम। नीच। ३. निर्लज्ज। ४. धोखेबाज। ५. चुगुलखोर। पिशुन। पुं० [सं०] १. सूर्य। २. पृथ्वी। ३. जगह। स्थान। ४. खलिहान। ५. तलछट। ६. धतूरा। ७. तमाल वृक्ष। ८. खरल। ९. पत्थर का टुकड़ा या ढ़ोंका। १॰. सुनारों का किटकिना नाम का ठप्पा। पुं० =खरल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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खल-मूर्ति :
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पुं० [ब० स०] पारा। |
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खल-यज्ञ :
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पुं० [मध्य० स०] प्राचीन काल में खलियान में होनेवाला एक प्रकार का यज्ञ। |
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खलई :
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स्त्री० =खलता। |
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खलक :
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पुं० [सं० ख√ला (लेना)+क+कन्] घड़ा। पुं० [अ० खल्क] १. जगत् या सृष्टि के प्राणी। २. जगत्। संसार। सृष्टि। |
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खलकत :
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स्त्री० [अ०] १. जगत् या संसार के सब लोग। २. जनसमूह। भीड़। |
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खलखल :
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स्त्री० [अनु०] १. तरल पदार्थ उँड़ेलने अथवा उबालने पर होने वाला शब्द। २. हँसने आदि में होनेवाला उक्त प्रकार का शब्द। |
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खलखलाना :
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अ० [अनु०] १. खल खल शब्द होना। २. खौलना। स० १. खल खल शब्द उत्पन्न करना। २. उबालना। खौलाना। |
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खलड़ी :
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स्त्री० [हिं० खाल+डी (प्रत्य०)] खाल। त्वचा। |
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खलता :
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स्त्री० [सं० खल+तल्-टाप्] खल होने की अवस्था या भाव। दुष्टता। पुं० [हिं० खरीता] एक प्रकार का बड़ा थैला। |
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खलत्व :
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पुं० [सं० खल+त्व] खलता (दे०)। |
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खलधान :
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पुं० [सं०√धा (धारण करना)+ल्युट्-अन, खल-धान, ष० त०] खलियान। |
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खलना :
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अ० [सं० खर=तीक्ष्ण] १. अनुचित, अप्रिय या कष्टदायक प्रतीत होना। दूषित या बुरा जान पड़ना। अखरना। २. नेत्रों को भला प्रतीत न होना। ठीक प्रकार से न जँचना या न फबना। खटकना। स० किसी धातु को इस प्रकार खाली अर्थात् पोला करना कि वह झुक या मुड़ न सके। (सोनार) |
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खलनी :
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स्त्री० [फा० खाली] सोनारों का एक औजार जिस पर रखकर घुंडी आदि बनाई जाती है। |
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खलबल :
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स्त्री० [अनु०] १. शोर। हल्ला। २. कुलबुलाहट। ३. दे० ‘खलबली’। |
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खलबलाना :
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अ० [हिं० खलबल] १. खलबल शब्द करना। २. उबलना। खौलना। ३. कीड़े मकोड़ों का हिलना डोलना। कुलबुलाना। ४. दे० ‘खड़बड़ाना’ । स० १. खलबल शब्द करना। २. खलबली या हलचल उत्पन्न करना। |
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खलबली :
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स्त्री० [हिं० खलबल] १. खलबल करने या होने की अवस्था या भाव। जैसे– पेट में खलबली होना। २. घबराहट, भय आदि के कारण भीड़ या जन समूह में मचनेवाली हलचल। ३. क्षोभ। |
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खलभलाना :
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अ० स० =खलबलाना। |
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खलल :
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पुं० [अ०] १. किसी चलते हुए काम में पड़नेवाली बाधा या विघ्न। अड़चन। पद-खलल-दिमाग–मस्तिष्क में होनेवाली विकृति। पागलपन। |
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खलसा :
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स्त्री० [सं० खालिश] एक प्रकार की बड़ी मछली। |
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खलहल :
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पुं०=खलल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री०=खलबल। |
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खलाइत :
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स्त्री० [हिं० खाल+इत (प्रत्यय)] धौंकनी। भाथी। |
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खलाई :
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स्त्री० =खलता। |
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खलाना :
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स० [हिं० खाली] १. पात्र आदि में भरी हुई चीज बाहर निकालना। खाली करना। २. किसी को कहीं से बाहर निकालना। ३.घुंडी बनाने के लिए पत्तर की कटोरी इस प्रकार बनाना कि उसका भीतरी भाग खाली रहें। (सुनार) स० [हिं० खाल=गड्ढा] १. जमीन खोदकर गड्ढा बनाना। २. भरी हुई जमीन खोदकर खाली करना। जैसे– कूआँ खलाना। ३. नीचे की ओर इस प्रकार दबाना कि वह खाली जान पड़े। मुहावरा– पेट खलाना= पेट पचकाकर यह सूचित करना कि हम बहुत भूखे हैं, हमें कुछ मिलना चाहिए। स० [हिं० खाल] मरे या मारे हुए पशु की खाल उतारना। जैसे– बकरी या शेर खलाना। |
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खलार :
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वि० [हिं० खाली] नीचा गहरा। जैसे–खलार भूमि। पुं० आस-पास के तल से नीचा स्थान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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खलाल :
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पुं० [अ०] धातु का वह लंम्बा, नुकीला छोटा टुकड़ा जिससे दाँतों में फँसा हुआ अन्न खोदकर निकालते है। वि० [हि० खलास] (ताश के खेल मे) जो पूरी बाजी हार चुका हो। पुं० उक्त प्रकार की हार। |
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खलास :
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वि० [ अ०] १. किसी प्रकार के बंधन से छूटा हुआ। मुक्त। २. जिसके पास या साथ कुछ रह न गया हो। गरीब। दरिद्र। ३. खतम। समाप्त। ४. संभोग से समय जिसका वीर्य-पात हो चुका हो। |
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खलासी :
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स्त्री० [हिं० खलास] छुटकारा। मुक्ति। पुं० जहाज पर या रेलों में छोटे-मोटे काम करने वाले मजदूर। |
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खलि :
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स्त्री० [सं०√खल् (गति)+इन्] खली। |
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खलित :
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वि० [सं० स्खलित] १. चलायमान। चंचल। डिगा हुआ। २. अपने स्थान से गिरा हुआ या हटा हुआ। ३.जिसका वीर्यपात हो चुका हो। ४. अस्पष्ट या अर्थरहित। (बात)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) वि० [सं०√खल्+क्त] अधम। नीच। पतित। |
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खलिन :
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पुं० [स-लीन, स० त०, पृषो० ह्वस्व] १. घोड़े की लगाम। २. लोहे का वह उपकरण जिसके दोनों ओर लगाम बँधी रहती है। |
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खलियान :
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पुं० [सं० खल और स्थान] १. वह समतल भूमि या मैदान जहाँ फसल काटकर रखी, माँडी तथा बरसाई जाती है। २. अव्यवस्थित रूप से लगाया हुआ ढेर। |
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खलियाना :
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स=खलाना (सब अर्थों में)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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खलिवर्द्धन :
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पुं० [ष० त०] मसूड़ों का एक रोग जिसमें उनकी जड़ का माँस बढ़ जाता है और पीड़ा होती है। |
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खलिश :
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पुं० [सं० ख√लिशु (गति या मिलना)+क] खलसा नाम की मछली। स्त्री० [फा०] १. कोई खटकने, गड़ने या चुभनेवाली चीज। काँटा। २. उक्त प्रकार की चीज गड़ने या चुभने से होनेवाली कसक, टीस या पीड़ा। खटक। |
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खलिहान :
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पुं०=खलियान। |
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खली (लिन्) :
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वि० [सं० खल+इनि] जिसमें तलछट हो। पुं० १. शिव। २. एक प्रकार के दानव जिन्हें वशिष्ट देव ने मारा था। स्त्री० तेलहन का वह अंश जो उसे पीसकर तेल निकालने पर बच रहता और गौओं-भैसों आदि को भूसे में मिलाकर खिलाया जाता हैं। वि० [हिं० खलना] खलने या खटकनेवाला। अनुचित और अप्रिय। |
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खलीज :
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स्त्री० [ अ०] खाड़ी। (भूगोल) |
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खलीता :
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पुं०=खरीता। |
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खलीफा :
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पुं० [ अ०] १. उत्तरादिकारी। २. मुसलिम राष्ट्र में एक सर्वोच्च पद जिस पर मोहम्मद साहब का उत्तरादिकारी नियुक्त होता था और संसार भर के मुसलमानों का नेता माना जाता था। (कैलिफ) ३. प्रधान अधिकारी। ४. बड़ा, बुड्ढा और मान्य व्यक्ति। ५. मुसलमान, नाइयों, दरजियों आदि का उपनाम। ६. बहुत बड़ा चालाक या धूर्त। खुर्राट। |
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खलील :
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पुं० [अ०] सच्चा दोस्त। |
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खलु :
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क्रि० वि० [सं०√खल्+उन्] निश्चयवाचक शब्द। निश्चित रूप से। अवश्य। |
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खलूरिका :
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स्त्री० [सं० अव्युत्पन्न] १. वह मैदान जहाँ सैनिक शिक्षा दी जाती हो अथवा जहाँ सैनिक व्यायाम करते हों। २. चाँदमारी का स्थान। |
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खलेरा :
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वि० [अ० खालः=मौसी] जो खाला (मौसी) के संबंध से कुछ लगता हो। मौसेरा। जैसे–खलेरा भाई। |
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खलेल :
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पुं० [हिं० खली+तेल] खली आदि का वह अंश जो फुलेल में रह जाता है और निथारने या छानने पर निकलता है। वि० पु०=खलाल। |
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खल्क :
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स्त्री० दे० ‘खलक’। |
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खल्कत :
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स्त्री० =खलकत। |
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खल्ल :
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पुं० [सं०√खल्+क्विप्,खल्√ला (लेना)+क] १. प्राचीन काल का एक प्रकार का कपड़ा। २. चमड़ा। ३. चमड़े की बनी हुई मशक। ४. चातक पक्षी। ५. औषध को खरल में डालकर घोंटने या पीसने की क्रिया। |
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खल्लड़ :
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पु० [सं० खल्ल, हिं खाल] १. मृत पशु की उतारी हुई खाल। २. चमड़े की मशक या थैला। ३. औषध, मसाले आदि कूटने का खरल। |
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खल्ला :
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पुं० [हिं० खाली] १. नृत्य में यह दिखलाने की क्रिया कि हमारा पेट खाली है। २. बिना साफ की हुई खाल से बनाया हुआ जूता। पुं०=खलियान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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खल्लासर :
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पु० [सं० ?] ज्योतिष में एक प्रकार का योग। |
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खल्लिका :
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स्त्री० [सं० खल्ल+कन्-टाप्,इत्व] कड़ाही। |
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खल्ली :
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पुं० [सं० खल्ल+ङीष्] एक प्रकार का बात रोग जिसमें हाथ पाँव मुड़ जाते हैं। स्त्री०=खली (तेलहन की)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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खल्लीट :
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पुं० वि०=खल्वाट। |
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खल्व :
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पुं० [सं०√खल्+क्विप्,खल्√वा+क] १. सिर के बाल झड़ जाने का एक रोग। गंज। २. एक प्रकार का धान। ३. चना। |
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खल्वाट :
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पुं० [सं० खल्√वट् (लपेटना)+अण्] वह रोग जिसमें सिर के बाल झड़ जाते हैं। गंज नामक रोग। वि० जिसके सिर के बाल झड़ गये हों। गंजा। |
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