शब्द का अर्थ
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खुरा :
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पुं० [हिं० खुर] १. खुरपका। (दे०) २. लोहे का वह काँटा जो हल के फाल में जड़ा रहता है। ३. वह पक्की चौकोर जमीन जो नालियों या मोरियों के ऊपरी भाग पर पानी आदि गिराने के लिए होती है।(पश्चिम) |
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समानार्थी शब्द-
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खुराई :
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स्त्री० [हिं० खुर] वह रस्सी जिसमें पशुओं के अगले या पिछले दोनों पैर इसलिए बाँध दिये जाते हैं कि वह भागने न पावें। |
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खुराक :
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पुं० [फा० खूराक] १. वह जो कुछ खाया जाए। खाद्य पदार्थ। भोजन। जैसे– आदमियों की खुराक अलग होती है और जानवरों की अलग। २. भोजन की उतनी मात्रा जितनी एक बार अथवा एक दिन में काई जाए। ३.किसी वस्तु की उतनी मात्रा जितनी एक बार में लेनी उचित या उपयुक्त हो। जैसे–दवा की खुराक। |
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खुराकी :
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स्त्री० [फा०] १. भोजन आदि की सामग्री। २. भोजन करने अथवा भोजन आदि की सामग्री लेने के लिए दिया जानेवाला धन। वि० जिसकी खुराक बहुत अधिक हो। |
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खुराघात :
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पुं० [सं० खुर-आघात, तृ० त०] खुर से किया हुआ आघात या प्रहार। |
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खुराफात :
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स्त्री० [अ० खुराफात का बहुवचन] १. बहुत ही भद्दी बातें। २. गाली-गलौज। मुहावरा–खुराफात बकना=गंदी या बेहूदी बातें कहना। ३. ऐस काम या बात जिससे किसी के दूसरे के काम में बाधा पड़ती हो, किसी की परेशानी बढ़ती हो या कोई उपद्रव खड़ा होता हो। |
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खुराफाती :
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वि० [हिं० खुराफात] १. खुराफात-संबंधी। २. खुराफात के रूप में होनेवाला। पुं० वह जो प्रायः कुछ न कुछ खुराफात करता रहता हो। |
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खुरायला :
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पुं० [हिं० खुर+आयल] ऐसा जोता हुआ खेत जिसमें अभी बीज न बोयें गये हो। |
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खुरालिक :
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पुं० [सं० खुर-आलि, ष० त० खुरालि√कै(प्रतीत होना)+क] १. लोहे का तीर। २. तकिया। ३.उस्तरा, कैंची आदि रखने की नाइयों की थैली। किसबत। |
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खुरासान :
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पुं० [फा०] [ वि० खुरासानी] फारस देश का एक प्रदेश या भूभाग। |
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खुरासानी :
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वि० [फा०] १. खुरासान-संबंधी। २. खुरासान प्रदेश में रहने अथवा होनेवाला। पुं० खुरासान का निवासी। स्त्री० खुरासान की बोली या भाषा। |
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खुराही :
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स्त्री० [हिं० खुर+फा० राह] १. जमीन पर पड़े हुए गौओं, घोड़ों आदि के खुरों के चिन्हों आदि से बना हुआ मार्ग। २. रास्ते पर ऊँचानीचा पन सूचित करनेवाला एक शब्द। (कहारों की भाषा) |
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