शब्द का अर्थ
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खुला :
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वि० [हिं० खोलना] [स्त्री० खुली] १. जो बंद या भेड़ा हुआ न हो। जैसे–खुला दरवाजा। २. जो बँधा न हो। जो बंधन से कसा या जकड़ा न हो। जैसे–खुला कुत्ता या खुली गाय। ३. जिसमें किसी प्रकार की आड़, बाधा या रोक न हो। जैसे–खुली सड़क, खुली हवा। ४. जो संकरा न हो। लँबा चोड़ा। विस्तृत। जैसे– खुला कमरा, खुला मैदान। ५. जो बंद या चिपका न हो। जिसकी तह न लगी हो। जैसे– खुली पुस्तक। ६. (मशीन यंत्र आदि) जिसका कोई पेंच इस प्रकार घुमा दिया गया हो कि वह काम करने लगे। जैसे–खुला रेडियो। ७. जो किसी चीज से ढका या छाया हुआ न हो। जैसे– खुली छत या बरामदा। ८. जो गुप्त या छिपा न हो। साफ। स्पष्ट। मुहावरा– खुले खजाने=सबके सामने। स्पष्ट रूप से। खुले दिल से-(क) उदारतापूर्वक। (ख) शुद्ध ह्रदय से। खुले बंदाँ-(क) खुले खजाने। (ख) निःशंक होकर। बेधड़क। खुले मैदान-सबके सामने। खुले खजाने। खुली हवा-वह हवा जिसकी गति का अवरोध न होता हो। |
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समानार्थी शब्द-
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खुला पल्ला :
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पुं० [हिं० खुला+पल्ला] ढोलक, तबला, मृदंग आदि बजाने में दोनों हाथों से एक साथ या केवल बाएँ हाथ से खुली थाप देकर बजाना आरम्भ करना। (संगीत) |
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खुलाई :
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स्त्री० [हिं० खोलना] १. खुलने, खुलवाने या खोलने की क्रिया या भाव। २. खुलवाने या खोलने का पारिश्रमिक या मजदूरी। ३.चित्रकला में चित्र तैयार हो जाने पर मंद पड़ जानेवाली आकार-रेखाओं पर फिर से रंग चढ़ाकर उन्हें चमकाना। उन्मीलन। तहरीर। |
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खुलासा :
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वि० [अ० खुलासः] १. खुला हुआ। २. विस्तीर्ण। विस्तृत। ३. जिसके आगे कोई अवरोध या रुकावट न हो। ४. (कथन) साफ। स्पष्ट। पुं० संक्षिप्त कथन या विवरण। सारांश। |
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खुलासी :
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स्त्री० दे० ‘खलासी’। |
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