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खुश्क  : वि० [सं० शुष्क से फा० खुश्क] १. (पदार्थ) जिसमें से जल का अंश सूखकर बिलकुल निकल गया हो। सूखा। जैसे–खुश्क जमीन, खुश्क जलवायु। २. जो चिकना न हो। अथवा जिसमें चिकनाहट न लगी हो। जैसे–खुश्क रोटी। ३. (वेतन) जो केवल रुपयों के रूप में मिलता हो और जिसके साथ भोजन आदि न मिलता हो। ४. (व्यक्ति) जिसके हृदय में कोमलता, रसिकता आदि का अभाव हो। रूखे स्वभाववाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
खुश्क-साली  : स्त्री० [फा०] ऐसी स्थिति जिसमें ठीक ऋतु में या समय पर पानी बिलकुल न बरसा हो। अनावृष्टि का वर्ष। सूखा।
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खुश्का  : पुं० [फा० खुश्क से] पानी में उबालकर पकाया हुआ चावल जिसमें घी आदि का अंश न हो। भात।
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खुश्की  : स्त्री० [फा०] १. खुश्क या सूखे होने की अवस्था या भाव। सूखापन। शुष्कता। २. नीरसता। ३. वृष्टि का अभाव। अवर्षा। सूखा। ४. ऐसी जमीन जो जल से परे या दूर हो। स्थल। ५. पूरी, रोटी आदि बेलने के समय उसकी लोई में लगाया जानेवाला सूखा आटा। पलेथन। ६. शरीर के अन्दर या बाहर की वह स्थिति जिसमें तरी या स्निग्धता बिलकुल न रह गई हो।
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