शब्द का अर्थ
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खोट :
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पुं० [सं० कूट] १. वह दूषित या निकृष्ट पदार्थ जो किसी दूसरे अच्छे पदार्थ में लोगों को ठगने के उद्देश्य से मिलाया जाए। जैसे– सुनार ने इस गहने में कुछ खोट मिलाया है। २. किसी चीज में या बात में होनेवाला ऐब या दोष। खोटापन। जैसे–तुम में यही तो खोट है कि सच बात जल्दी नही बताते। ३. किसी व्यक्ति अथवा कार्य के प्रति मन में होनेवाली कपट-पूर्ण या दुष्ट धारणा अथवा भाव। मन में होनेवाली बुरी भावना। जैसे–उस (व्यक्ति) में अब भी खोट है। |
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समानार्थी शब्द-
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खोटता :
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स्त्री० =खोटाई (खोटापन)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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खोटपन :
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पुं०=खोटापन। |
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खोटा :
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वि० [सं० कूट, प्रा० मरा० गु० कूड़; सि० कूरु, सिंह० कुलु] [स्त्री० खोटी] १. (वस्तु) जो अपने वास्तविक या शुद्ध रूप में न हो। जिसमें किसी प्रकार की मिलावट हुई हो। जैसे–खोटा सोना। २. झूठा। नकली। बनावटी। जैसे–खोटा सिक्का। ३.(व्यक्ति) जो जानबूझ कर किसी को कष्ट पहुँचाता या किसी की हानि करता हो। अथवा जिसके मन में किसी के प्रति वैर हो। जो शुद्ध हृदयवाला न हो। ‘खरा’ का विपर्याय, उक्त सभी अर्थों में। ४. खोट से भरा हुआ। खोट युक्त। अनुचित और बुरा। जैसे–खोटी बात। पद–खोटा खरा = भला-बुरा। उत्तम और निकृष्ट। जैसे–किसी को खोटी-खरी बातें सुनान=फटकारते हुए अच्छा रास्ता बदलाना। मुहावरा–खोटा खाना= (क) अनिन्दनीय या बुरे उपायों से कमाकर खाना। (ख) अनुचित और बुरा आचरण या व्यवहार करना। (किसी के साथ) खोटी करना-खोटापन या दुष्टता करना। |
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खोटाई :
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स्त्री० [हिं० खोटा+ई(प्रत्यय)] १. खोटे होने की अवस्था या भाव। खोटापन। २. कपट। छल। धोखेबाजी। ३. ऐब। दोष। |
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खोटाना :
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अ० दे० ‘खुटना’ (समाप्त होना)। |
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खोटापन :
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पुं० [हिं० खोटा+पन(प्रत्यय)] खोटे होने की अवस्था, गुण या भाव। खोटाई। |
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खोटि :
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स्त्री० [सं०√खोट्(खाना)+इन] दुश्चरित्रा। व्यभिचारिणी। |
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