घुलना/ghulana

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घुलना  : अ० [सं० घूर्घन, प्रा० घुलन] १. किसी कड़ी या ठोस चीज का तरल पदार्थ में गलकर अच्छी तरह मिल जाना। जल के संयोग से संयोजक अणुओं का अलग-अलग होना। जैसे–दूध या पानी में चीनी घुलना। २. आँच आदि की सहायता से गलकर, नरम होकर या मुलायम पड़कर तरल पदार्थ में मिल जाना। जैसे–दाल जरा और घुलने दो। ३. किसी में या किसी के साथ बहुत अच्छी तरह या खूब मिल जाना। जैसे– किसी के साथ आँखे घुलना। उदाहरण–तब पिय उर घुरि सोयी यहँ।–नंददास। मुहावरा–(किसी से) घुल घुलकर बातें करना=प्रेम पूर्वक खूब मिलकर बातें करना। बहुत घनिष्ठता से बातें करना। घुल-मिलकर=बहुत अच्छी तरह मिलकर। बहुत मेल-जोल से। ४. पकन आदि के कारण ठोस, न रहकर मुलायम पड़ा जाना। जैसे–ये आम खूब घुल गये हैं। ५. बुढापें, रोग शोक आदि के कारण शारीरिक दृष्टि से बहुत ही क्षीण या दुर्बल हो जाना। मुहावरा–घुल-घुलकर मरना=बहुत दिनों तक मानसिक या शारीरिक कष्ट भोगते हुए बहुत क्षीण तथा दुर्बल होकर मरना। ६. जुए में दाँव का किसी कारण व्यर्थ हो जाना। जैसे–कौड़ी या कौड़ी टिकने से दाँव घुल गया। ७. समय का व्यर्थ हाथ से निकलना या बीतना। जैसे–कचहरी में जरा-जरा सी बातों में बरसों घुल जाते हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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