छापा/chhaapa

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छापा  : पुं० [हि० छापना] १. धातु अतवा लकड़ी का वह टुकड़ा जिस पर फूल-पत्ती आदि खुदी रहती है और जिस पर रंग या स्याही लगाकर उसकी छाप किसी तल पर लगाई जाती है। ठप्पा। २. उक्त उपकरण की छाप। ३. विष्णु के आयुधों के वे चिन्ह जो भक्त लोग तप्त मुद्रा से अपने शरीर पर अंकित कराते हैं। उदाहरण–जप माला छापे तिलक..।-बिहारी। ४. गोहर, मुद्रा और उसकी छाप। ५. मंगल अवसरों पर हथेली और पाँचों उँगलियों का वह चिन्ह जो हल्दी आदि की सहायता से दीवारों आदि पर लगाया जाता है। ६. पुस्तकें, समाचार-पत्र आदि छापने की कला या यंत्र। ७. शत्रु या शिकार पर अचानक किया जानेवाला हमला। क्रि० प्र०–डालना। मारना। ८. किसी की तलाशी लेने के लिए और कुछ विशिष्ट वस्तुएँ पकड़ने के लिए पुलिस का अचानक या अप्रत्याशित रूप से कहीं पहुँचकर सब चीजें देखना-भालना। क्रि० पर०–मारना।
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छापा-खाना  : पुं० [हि० छापना+फा० खानः] वह संस्थान जहाँ यंत्रों आदि की सहायता से छपाई का काम होता हो। मुद्रणालय। (प्रिटिंग प्रेस)
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छापामार  : वि० [हि० छापा+मारना] अचानक किसी पर आक्रमण करनेवाला। छापा मारनेवाला।
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छापामारी  : स्त्री० [हि० छापामार] छापा मारने की क्रिया या भाव।
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