जमाना/jamaana

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जमाना  : स० [हिं० जमना का स० रूप] १. किसी तरल पदार्थ को शीत पहुँचाकर अथवा और किसी प्रक्रिया से ठोस बनाना। जैसे–दही या बरफ जमाना। २. एक वस्तु को दूसरी वस्तु पर दृढ़तापूर्वक स्थित करना या बैठाना। जैसे–दीवार पर पत्थर जमाना। ३. अच्छी तरह चलने के योग्य बनाना। जैसे–रोजगार या वकालत जमाना। ४.ऐसे ढंग से कोई काम करना कि वह यथेष्ट प्रभावशाली सिद्ध हो। जैसे–खेल या महफिल जमाना। ५. कोई काम अच्छी तरह कर सकने की योग्यता प्राप्त करने के लिए बराबर उसका अभ्यास या संपादन करना। जैसे–लिखने में हाथ जमाना। ७. अच्छी तरह या जोर लगाकर प्रहार करना। जैसे–थप्पड़ या मुक्का जमाना। पुं० [अ० जमानः] १. काल। समय। पद–जमाने की गर्दिश=समय का फेर। मुहावरा–(किसी का) जमाना बदलना या पलटना=किसी की अवस्था या स्थिति बदल जाना। २. सौभाग्य का समय। जैसे–उनका भी जमाना था। ३. सारी सृष्टि। संसार। मुहावरा–जमाना देखना=संसार की गति विधियाँ देखना। जमाना देखे होना-संसार की गति-विधियों का ज्ञान होना। अनुभवी होना। पद–जमाने भर का=संसार में जितना हो सकता हो उतना सब। बहुत अधिक। जैसे–उन्हें तो जमाने भर का सुख चाहिए। ४. संसार के लोग। जैसे–जमाना जो चाहे सो कहे आप किसी की नहीं सुनेगें।
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जमानासाज  : वि० [फा०] [भाव० जमानासाजी] १. (व्यक्ति) जो समय विशेष के अनुकूल अपने को ढाल सके। २. विभिन्न परिस्थितियों में विभिन्न रूप धारण करनेवाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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