ठंढक/thandhak

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ठंढक  : स्त्री० [हिं० ठंढा] १. वातावरण की ऐसी स्थिति जिसमें हलकी ठंढ हो। ऐसी हलकी ठंढ जो प्रिय और सुखद हो। २. लाक्षणिक रूप में किसी प्रकार की अभिष्ट सिद्ध होने पर मन में होनेवाली तृप्ति या सन्तोष। जैसे–हमारे सौ रुपये खरच करा दिये, अब तो तुम्हें ठंढक पड़ी न। ३. उत्पात, उपद्रव, रोग आदि का शमन होनेपर वाली तृप्ति या सन्तोष। क्रि० प्र०–पड़ना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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