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डोला  : पुं० [सं० दोल यो दोलप] [स्त्री० अल्पा० डोली] १. पालकी की तरह की एक प्रसिद्ध चौकोर छाई हुई सवारी जिसे कहार उठाकर ले चलते हैं और जिस पर प्रायः वधू बैठकर पहले-पहल ससुराल जाती है। मुहावरा–(किसी की) डोली देना=डोले पर बैठकर अपनी कन्या को इस उद्देश्य से वर-पक्ष के घर भेजना कि वहीं वर के अभिभावक वर के साथ उसका विवाह कर लें। विशेष–प्रायः मध्य युग में ऐसे लोग अपनी कन्या को डोले पर बैठाकर रईसों, राजाओं या सरदारों के यहाँ भेजते थे जिनके यहाँ या तो बड़े आदमियों की बरात आ नहीं सकती थी या जो उन बड़े आदमियों की बरात का उचित आदर-सत्कार करने में असमर्थ होते थे। इसी लिए डोला भेजना एक प्रकार की अधीनता या हीनता का सूचक होता है। मुहावरा–(किसी के) चोंड़े या सिर पर (किसी का) डोला उछलना=किसी स्त्री के सामने उसके पति का दूसरा विवाह करना और जलाने के लिए उसकी सौत लाकर बैठाना। २. झूले को दिया जानेवाला झोंका। पेंग।
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डोला-यंत्र  : पुं०=दोला यंत्र।
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डोलाना  : स० दे० ‘डुलाना’।
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