दीर्घा/deergha

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दीर्घा  : स्त्री० [सं० दीर्घ+टाप्] १. पिठवन। पृश्निपर्णी। २. पुरानी चाल की वह नाव जो ८८ हाथ लंबी, ४४ हाथ चौड़ी और ४४ हाथ ऊँची होती थी। ३. आने-जाने के लिए कोई लंबा और ऊपर से छाया हुआ मार्ग। ४. आज-कल किसी भवन के अंदर कुछ ऊँचाई पर दर्शकों आदि के बैठने के लिए बना हुआ स्थान। (गैलरी)
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दीर्घाकार  : वि० [दीर्घ-आकार, ब० स०] दीर्घ आकारवाला। लंबा-चौड़ा।
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दीर्घाध्वग  : पुं० [दीर्घ-अध्वग कर्म० स०] १. दूत। २. हरकारा।
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दीर्घायु (स्)  : वि० [दीर्घ-आयुस् ब० स०] दीर्घजीवी। चिरजीवी। पुं० १. मार्कडेय ऋषि। २. जीवकवृक्ष। ३. सेमल का पेड़। ४. कौआ।
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दीर्घायुध  : पुं० [दीर्घ-आयुध कर्म० स०] १. कुंभास्त्र। २. [ब० स०] सूअर। शूकर।
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दीर्घायुष्य  : वि०, पुं० [दीर्घ-आयुष्य ब० स०]=दीर्घायु।
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दीर्घालर्क  : पुं० [दीर्घ-अलक कर्म० स०] सफेद मदार।
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दीर्घाष्य  : वि० [दीर्घ-आस्य] बड़े मुँहवाला। पुं० १. शिव का एक अनुचर। २. पुराणानुसार पश्चिमोत्तर दिशा का एक देश। ३. हाथी।
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दीर्घाह (न्)  : वि० [दीर्घ-अहन्] बड़े दिनवाला। पुं० १. बड़ा दिन। २. ग्रीष्मकाल।
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