द्वेष/dvesh

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द्वेष  : पुं० [सं०√द्विष (शत्रुता)+घञ्] १. किसी को दूसरा या पराया समझने और उससे पार्थक्य का व्यवहार करने का भाव। २. किसी के प्रति होनेवाले विरोध, वैमनस्य, शत्रुता आदि के फलस्वरूप मन में रहनेवाला ऐसा भाव, जिसके कारण मनुष्य उसका बनता और होता हुआ काम बिगाड़ देता है अथवा उसे हानि पहुँचाने का प्रयत्न करता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
द्वेषाग्नि  : स्त्री० [सं० द्वेष-अग्नि कर्म० स०]=द्वेषानल।
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द्वेषानल  : पुं० [सं० द्वेष-अनल कर्म० स०] द्वेष या वैर रूपी अग्नि। द्वेष का उग्र या प्रबल रूप।
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द्वेषी (षिन्)  : वि० [सं०√द्विष्+घिनुण] [स्त्री० द्वेषिणी] द्वेष करने या रखनेवाला। पुं० वैरी। शत्रु।
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द्वेष्टा (ष्ट्र)  : वि० [सं०√द्विष्+तृच्] [स्त्री० द्वेष्टी]=द्वेषी।
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द्वेष्य  : वि० [सं०√द्विष्+ण्यत्] १. जिससे द्वेष किया जाय। २. जिसके प्रति द्वेष रखना उचित हो। पुं० वैरी। शत्रु।
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द्वेष्य-पक्ष  : पुं० [कर्म० स०] क्रोध, ईर्ष्या आदि जो द्वेष के अवांतर भेद हैं।
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