पैंड/paind

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पैंड  : पुं० [हिं० पाँय+ड़(प्रत्य०) या पाददंड, प्रा० पायडंड] १. कदम। डग। पग। मुहा०—पैंड भरना=कदम या पैर उठाते हुए किसी ओर चलाना। डग भरना। २. चलने के समय एक पैर से दूसरे पैर तक की दूरी। जैसे—जरा उठकर चार पैंड चला तो सही। ३. पैंडा। मार्ग। ४. विधि। ढंग।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पैंड़ा  : पुं० [हिं० पैंड़] १. वह दूरी या रास्ता जो कोई चलकर आया हो अथवा चलने को हो। मुहा०—पैंडा मारना=बहुत दूर तक पैदल चलते हुए जाना या कहीं पहुँचना। जैसे—तुम्हारे लिए ही हम इतनी दूर से पैंडा मार कर आये हैं। (किसी के) पैंड़े पड़ना=(क) किसी के कार्य या मार्ग में बाधक होना या बाधा खड़ी करना। (ख) तग या परेशान करना। २. नियत या नियमित रूप से कहीं आने-जाने की प्रथा। उदा०—राजों घर पैंडा मेरा, जल को होत अवेर। ३. प्रणाली। प्रथा। ४. पानी का घड़ा रखने का स्थान। ५. अस्तबल। घुड़साल।
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पैंडिक्य  : पुं० [सं० पिंड+ठन्—इक,+ष्यञ्] भिक्षावृत्ति।
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पैंडिन्य  : पुं० [सं० पिंड+इनि, ष्यञ्] भिक्षावृत्ति।
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पैंडिया  : पुं० [देश०] कोल्हू में पेरने के लिए गन्ने लगानेवाला मजदूर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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