प्रग्रह/pragrah

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प्रग्रह  : पुं० [सं० प्र√गह्+अप्] १. अच्छी तरह पकड़ने की क्रिया, ढंग या भाव। २. ग्रहण या धारण करने की क्रिया या भाव। ३. कुश्ती आदि लड़ने का एक ढंग या प्रकार। ४. सूर्य या चंद्र के ग्रहण का आरम्भ। ग्रस्त होना। ५. आदर। सत्कार। ६. अनुग्रह। कृपा। ७. उद्धतता। उद्दंडता। ८. घोड़े आदि की लगाम। बाग। ९. किरण। १॰. डोरी, विशेषतः तराजू आदि में बँधी हुई डोरी। ११. पशुओं के गले में बाँधने की रस्सी। पगहा। १२. डोरी। रस्सी। १३. घोड़ों, बैलों आदि को जुताई, सवारी आदि के काम में लाने के लिए सधाने या सिखाने की क्रिया या भाव। १४. मार्ग-दर्शक। नेता। १५. किसी बड़े ग्रह के साथ रहनेवाला छोटा ग्रह। उपग्रह। १६. कैदी। बंदी। १७. इंद्रियों का दमन या निग्रह। १८. सोना। स्वर्ण। १९. विष्णु। २॰. बाँह। हाथ। २१. एक प्रकार का अमलतास। २२. कर्णिकार। कनियारी। (वृक्ष)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
प्रग्रहण  : पुं० [सं० प्र√गह्+ल्युट्—अन] [भू० कृ० प्रगृहीत] १. ग्रहण करने की क्रिया या भाव। धारण। २. सूर्य या चन्द्रमा के ग्रहण का आरम्भ। ३. घोड़ों आदि को बोझ ढोने, सवारी के काम आदि में लाने के लिए सधाने की क्रिया या भाव। ४. वह डोरी जिसमें तराजू के पल्ले बँधे रहते हैं। ५. घोड़े की बाग। लगा। ६. पशुओं के गले में बाँधने की रस्सी। पगहा। ७. आज-कल किसी सभा समिति में उसके सदस्यों द्वारा किसी बाहरी आदमी को अपनी सहायता के लिए चुनकर अपना सदस्य बनाना। सहयोजन। (कोऑप्शन)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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