शब्द का अर्थ
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					फरमा					 :
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					पुं० [अं० फ़्रेम] १. वह ढांचा जिसमें रखकर उसी के अनुरूप कोई दूसरी चीज ढाली या बनाई जाती हो। डौल। साँचा। २. लकड़ी आदि का बना हुआ वह ढाँचा या साँचा जिस पर रखकर चमार जूता बनाते हैं। कालबतू। पुं० [अं० फार्म] १. कागज का पूरा तखता या ताव जो एक बार में प्रेस में जाता है। जुज। २. पुस्तकों आदि का उतना अंश जितना उक्त प्रकार के कागज पर एकसाथ छपता है। जैसे—इस पुस्तक के १॰ फरमें छप गये हैं अभी पाँच फरमे और बाकी हैं ३. छापेखाने में, ढाँचे में कसी हुई छपनेवाली सामग्री।				 | 
			
			
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					फरमाइश					 :
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					स्त्री० [फा० फ़र्माइश] १. वह चीज जिसके लिए किसी से अनुरोध किया हो २. किसी काम या बात के लिए दी जानेवाली आज्ञा विशेषतः प्रेमपूर्वक दिया हुआ आदेश।				 | 
			
			
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					फरमाइशी					 :
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					वि० [फा०] १. जो फरमाइश करके बनवाया या मँगाया गया हो। जैसे—फरमाइशी जूता। २. फरमाइश के रूप में होनेवाला।				 | 
			
			
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					फरमान					 :
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					पुं० [फा० फ़र्मान] १. कोई आधिकारिक विशेषतः राजकीय आदेश। २. वह पत्र जिसमें उक्त आदेश लिखा हो।				 | 
			
			
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					फरमाना					 :
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					स० [फा० फ़र्मान] कोई काम कहना। (बड़ो के संबंध में सम्मान-सूचक रूप में प्रयुक्त) जैसे—आपका फरमाना बिलकुल दुरुस्त है।				 | 
			
			
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					फरमाँबरदार					 :
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					वि० [फा० फ़र्माबरदार] [भाव० फरमाबरदारी०] आज्ञाकारी।				 | 
			
			
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