बाँधना/baandhana

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बाँधना  : स० [सं० बंधन] १. डोरी, रस्सी आदि कसकर किसी चीज के चारों ओर लपेटना। जैसे—घाव पर पट्टी बाँधना २. डोरी, रस्सी आदि के द्वारा किसी एक चीज के साथ आबद्ध करना। जैसे— कमर में पेटी या नाड़ा बाँधना। ३. रस्सी आदि के दो छोरों को गाँठ लगाकर आपस में जोड़ना या सम्बद्ध करना। मुहावरा—गाँठ बाँधना=दे० ‘गाँठ’ के अन्तर्गत। ४. रस्सी आदि के बनाये हुए फंदे में कोई चीज इस प्रकार फँसाना कि वह छूटने निकलने या भागने न पाये। जैसे—गौ या भैस बाँधना। ५. पुस्तक के फरमों की इस प्रकार सिलाई करना कि वे एक ओर से आपस में जुड़े रहें, अलग-अलग न होने पायें और उनके ऊपर से दफ्ती आदि लगाना। जैसे—जिल्द बाँधना। ६. कागज, कपड़े आदि से किसी चीज को इस प्रकार लपेटना कि वह बाहर न निकल सके अथवा सुरक्षित रहे। जैसे—दवा की पुड़िया बाँधना, कपड़ों या किताबों की गठरी बाँधना। ७. ऐसी क्रिया करना कि जिससे कोई चीज किसी विशिष्ट क्षेत्र या सीमा में ही रहे, उससे आगे या बाहर न जाने पाये। जैसे—नदी में पानी बाँधना। ८. उक्त के आधार पर लाक्षणिक रूप में किसी बात, भाव या विचार को इस प्रकार शब्दों में सजाना कि उससे कोई कोर-कसर त्रुटि या शिथिलता न रह जाय, अथवा उसे कोई विशिष्ट रूप प्राप्त हो जाय। ९. किसी व्यक्ति को कैद या बन्धन में डालना। बँधुआ बनाना। १॰. तंत्र-मंत्र आदि के प्रयोग से ऐसी क्रिया करना जिससे किसी की गति या शक्ति नियन्त्रित और सीमित हो जाय अथवा मनमाना काम न कर सके। जैसे—जादू के जोर से दर्शकों की नजर बाँधना, मन्त्र के बल से साँप को बाँधना (अर्थात् इधर-उधर बढ़ने में असमर्थता कर देना) ११. कोई ऐसी क्रिया करना जिससे दूसरा कोई किसी रूप में अधिकार या वश में आ जाय अथवा किसी रूप में विवश हो जाय। जैसे—किसी को प्रेमसूत्र में बाँधना। १२. किसी चीज को ऐसे रूप या स्थिति में लाना कि वह इधर-उधर न हो सके और अपने नये रूप या स्थान में यथावत् रहे। जैसे—किसी चूर्ण से गोली या लड्डू बाँधना, कमर में तलवार या कटार बाँधना। १३. कुछ विशिष्ट प्रकार की वास्तु-रचनाओं के प्रसंग में बनाक तैयार करना। जैसे—कुआँ घर नया पुल बाँधना। १४. बौद्धिक क्षेत्र या विचार के प्रसंग में, सोच-समझकर स्थिर करना। जैसे—बन्दिश बाँधना, मन्सूबा बाँधना १५. साहित्यिक क्षेत्र में किसी विषय के वर्णन कीरचना सामग्री एकत्र करके उसका ढाँचा खड़ा करना। जैसे—आलंकारिक वर्णन के लिए रूपक बाँधना, गजल में कोई मजमूत बाँधना। १६. ऐसी स्थिति में लाना कि नियमित रूप से अपना ठीक और पूरा काम कर सके या प्रभाव दिखला सके। जैसे—किसी की तनख्वाह या भत्ता बाँधना, किसी पर रंग बाँधना, किसी काम या बात का डौल या हिसाह बाँधना। १७. उपमा देना। सादृश्य स्थापित करना। उदाहरण—सब कद को सरो बाँधे है तू उसको ताड़ बाँध।—कोई कवि। अर्थात् सब लोग कद की उपमा सरो। (वृक्ष) से देते हैं तुम उसकी उपमा ताड़ वृ से दो। १८. उपक्रम या योजना करना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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