भ्रांति/bhraanti

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भ्रांति  : स्त्री० [सं०√भ्रम्+क्तिन्] १. चारों और घूमने या चक्कर लगाने की क्रिया या भाव। २. चक्कर। फेरा। ३. वह मानसिक स्थिति जिसमें किसी चीज को ठीक तरह से पहचाना या समझ न सकने के कारण कुछ और ही मान लिया जाता है। धोखा। ४. सन्देह। शक। ५. उन्माद। पागलपन। ६. सिर में चक्कर ने का रोग। घुमेर। ७. भूल-चूक। ८. प्रमाद। ९. मोह। १॰. साहित्य में एक प्रकार का काव्यालंकार जिसमें किसी चीज या बात को धोखे से कुछ और मान या समझ लेने का उल्लेख होता है। जैसे—चंद्रमुखी नायिका को देख कर यह कहना—अरे यह चन्द्रमा कहाँ से निकल आया।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
भ्रांतिमान (मत्)  : वि० [सं० भ्रांति+मतुप्] १. जिसे भ्रांति या धोखा हुआ हो। २. चक्कर खाता हुआ। पुं० साहित्य में एक प्रकार का काव्यालंकार जिसमें भ्रम से उपमेय को उपमान समझ लेने का उल्लेख होता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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