रंगना/rangana

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रंगना  : स० [सं० रंग+हिं० ना (प्रत्यय)] १. ऐसी क्रिया करना जिससे कोई चीज किसी एक या अनेक रंगों से युक्त हो जाय। जैसे—(क) धोती या साड़ी रँगना। (ख) दीवार या छत रँगना। (ग) चित्र रँगना। मुहावरा—रँगे हाथ या रँगे हाथों पकड़ा जाना=अपराधी या दोषी का ठीक अपराध करते समय पकड़ा जाना। २. लेखन में, बहुत अधिक लिखना विशेषतः लीपा-पोती करना। जैसे—कापी या किताब रँगना। ३. किसी को अपने प्रेम में फँसाना। अनुरक्त करना। ४. किसी को अपने अनुकूल बनाने के लिए अपने मतलब की बातें बतलाना या समझाना अथवा और किसी प्रकार अपने अनुकूल बनाना। ५. किसी के शरीर, विशेषतः सिर पर ऐसा भीषण आघात करना कि उसमें से रक्त की धार बहने लगे (गुण्डे) ६. किसी को अपने प्रभाव से युक्त करना। अ०१. रंग से युक्त होना। २. किसी के प्रेम में लिप्त होना। किसी पर आसक्ति होना। संयो० क्रि०—जाना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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