शब्द का अर्थ
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रय :
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पुं० [सं०√रय् (गतौ)+घ] १. वेग। तेजी। २. प्रवाह। बहाव। ३. ऐल के ६ पुत्रों में से एक। पुं० =रज (धूल)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
रयणपत :
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पुं० [सं० रजनीपति] चंद्रमा। (डि०) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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रयणि :
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स्त्री० [सं० रजनी] रात। (डि०) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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रयन :
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स्त्री०=रयनि। |
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रयना :
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स० [सं० रंजन] १. रंग से भिगोना। सराबोर करना। २. अनुरक्त करना। अ० १. रँगा जाना। रंजित होना। २. किसी के प्रेम में अनुरक्त होना। ३. किसी से संयुक्त होना। मिलना। |
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रयनि :
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स्त्री० [सं० रजनी, प्रा० रयणी] रात्रि। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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रया :
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स्त्री० [अ०] १. लोगों को धोखे में रखने के लिए बनाया हुआ बाहरी रूप। दिखावा। बनावट। २. धूर्तता। मक्कारी। |
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रयाकार :
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वि० [अ+फा० ] [भाव० रयाकारी] १. झूठा या दिखौआ बाहरी रूप बनानेवाला आडंबरी। २. धूर्त। मक्कार। |
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रयासत :
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स्त्री०=रियासत। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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रय्यत :
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स्त्री० [अ० रइअत] प्रजा। रिआया। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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