रस-मारण/ras-maaran

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रस-मारण  : पुं० [सं० ष० त०] पारा मानने अर्थात् शुद्ध करके उसका भस्म बनाने की क्रिया या भाव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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