रस-संरक्षण/ras-sanrakshan

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रस-संरक्षण  : पुं० [सं० ष० त०] पारे को शुद्ध और मूर्च्छित करने, बाँधने और भस्म करने की ये चारों क्रियाएँ। (वैद्यक)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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