शब्द का अर्थ
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रसोई :
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स्त्री० [हिं० रस+ओई (प्रत्यय)] १. पका हुआ खाद्य पदार्थ बना हुआ भोजन। विशेष—सनातनी हिंदुओं में रसोई दो प्रकार की मानी जाती है—कच्ची और पक्की। कच्ची रसोई वह कहलाती है जो जल और आग के योग से बनी हो, और जिसमें घी की प्रधानता न हो। जैसे—चावल, दाल, रोटी आदि। ऐसी रसोई चौके में बैठकर खाई जाती है। पक्की रसोई वह कहलाती है जिसके पकने में घी की प्रधानता रही हो। जैसे—पराँठा, पूरी, बरे, समोसे आदि। ऐसी चीजें चौके से बाहर भी खाई जा सकती हैं और इनमें छुआछूत का विशेष विचार नहीं होता। मुहावरा—रसोई चढ़ना=रसोई का बनना आरम्भ होना। रसोई तपना=रसोई या भोजन बनना। २. दे० ‘रसोई घर’। |
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समानार्थी शब्द-
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रसोई-खाना :
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पुं०=रसोई घर। |
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रसोई-घर :
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पुं० [हिं० रसोई+घर] वह कमरा या स्थान जहाँ पर घर के लोगों के लिए भोजन पकाया जाता है। चौका। |
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रसोईदार :
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पुं० रसोइया। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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रसोईदारी :
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स्त्री० [हिं० रसोईदार+ई (प्रत्यय)] १. रसोई बनाने का काम। भोजन बनाने का काम। २. रसोईदार का पद या भाव। |
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रसोईबरदार :
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पुं० [हिं० रसोई+फा० बरदार] वह जो बड़े आदमियों के साथ उनकी रसोई का भोजन ले जाकर पहुँचाना हो। |
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