शब्द का अर्थ
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राजक :
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वि० [सं०√राज् (दीप्ति)+ण्वुल-अक] प्रकाशमान्। चमकानेवाला। पुं० [राजन्+कन्] १. राजा। २. काला अगरु। |
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समानार्थी शब्द-
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राजकर :
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पुं० [सं० मध्य० स०] राजा या राज्य की ओर से लगाया हुआ कर। |
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राजकर्कटी :
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स्त्री० [सं० ष० त०] एक प्रकार की बड़ी ककड़ी। |
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राजकर्ता :
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पुं० न १. वह जो किसी को राजगद्दी पर बैठाता हो। २. फलतः ऐसा व्यक्ति जिसमें किसी को राजगद्दी पर बैठाने तथा उतारने की भी सामर्थ्य हो। ३. वह जो राजा या शासन-सम्बन्धी बड़े और महत्त्वपूर्ण कार्य करता हो। |
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राजकर्म (र्मन्) :
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पुं० [सं० ष० त०] १. राजा के कृत्य। २. राजा के कर्त्तव्य। |
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राजकला :
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स्त्री० [सं० ष० त०] चंद्रमा की सोलह कलाओं में से एक। |
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राजकल्याण :
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पुं० [सं०] संगीत में कल्याण राग का एक प्रकार का भेद। |
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राजकशेरु :
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पुं० [सं० ष० त० परनिपात] नागरमोथा। |
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राजकाज :
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पुं० [सं० राजकार्य] राज्य या शासन के प्रतिदिन के या महत्त्वपूर्ण काम। |
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राजकीय :
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वि० [सं० राजन्+छ-ईय, कुक्-आगम] राज्य संबंधी। राज्य का। जैसे—राजकीय अधिकारी। |
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राजकीय-समाजवाद :
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पुं० [सं०] आधुनिक समाजवाद की वह शाखा जिसका मुख्य सिद्धांत यह है कि लोकोपयोगी कल-कारखाने और शिल्प राज्य के अधिकार और नियंत्रण में रहने चाहिए। स्टेट सोशलिज्म। |
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राजकुँअर :
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पुं० =राजकुमार। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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राजकुमार :
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पुं० [सं० ष० त०] [स्त्री० राजकुमारी] राजा का पुत्र। |
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राजकुल :
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पुं० [सं० ष० त०] १. राजा का कुल या वंश। २. प्रसाद। ३. न्यायालय। |
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राजकोल :
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पुं० [सं० ष० त० परनिपात] बड़ा बेर (फल) और उसका पेड़। |
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राजकोलाहल :
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पुं० [सं० ष० त० परनिपात] संगीत में ताल के साठ मुख्य भेदों में से एक। |
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राजकोष :
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पुं० [सं०] १. वह स्थान जहाँ राजकीय धनसंपत्ति सुरक्षित रूप में रखी जाती है। सरकारी खजाना। २. आज-कल प्रमुख नगरों में वह विशिष्ट स्थान जहाँ से राज्य के आर्थिक लेन-देन के सब काम होते हैं। (ट्रेजरी)। |
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राजकोषातक :
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पुं० [सं० ष० त०, परनिपात] बड़ी तरोई। बड़ा नेनुआ। |
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