शब्द का अर्थ
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राजि :
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स्त्री० [सं०√राज् (शोभा)+इन्] १. पंक्ति। अवली। कतार। २. रेखा। लकीर। ३. राई। पुं० ऐल के पौत्र और आयु के एक पुत्र का नाम। |
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राजि-फला :
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स्त्री० [सं० ब० स०,+टाप्] चीना ककड़ी। |
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राजिक :
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वि० [अ०] रिज्क अर्थात् रोजी देनेवाला। पालनकर्ता। परवर्दिगार। पुं० ईश्वर। परमात्मा। |
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राजिका :
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स्त्री० [सं०√राज्+ण्वुल्-अक+टाप्, इत्व] १. केदार। क्यारी। २. राई। ३. आवली। पंक्ति। ४. रेखा। लकीर। ५. लाल सरसों। ६. मडुआ नामक कदन्न। ७. कठगूलर। कठूमर। ८. एक प्रकार का पुराना परिमाण या तौल। ९. एक क्षुद्र रोग जिसमें शरीर पर सरसों के दानों जैसी फुंसियाँ निकल आती हैं। |
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राजिका-चित्र :
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पुं० [सं० ष० त०] एक प्रकार का साँप जिसकी त्वचा पर सरसों की तरह छोटी-छोटी बुंदकियाँ होती हैं। |
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राजित :
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वि० [सं०√राज्+क्त] १. जो शोभा दे रहा हो। फबता हुआ। शोभित। २. विराजमान। |
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राजिमान् :
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पुं० [सं० राजि+मतुप्] एक तरह का साँप। |
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राजिल :
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पुं० [सं० राजि+लच्] एक प्रकार का साँप जिसके शरीर पर सीधी रेखाएँ होती हैं। |
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