शब्द का अर्थ
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रुधिर :
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पुं० [सं०√रुध् (आवरण)+किरच्] १. शरीर में का रक्त। शोणित। लहू। खून। विशेष—मुहा के लिए ‘खून’ और ‘लहू’ के मुहा०। २. कुंकुम। केसर। ३. मंगल ग्रह। रुखिराख्य नामक रत्न। |
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रुधिर-गुल्म :
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पुं० [मध्य० स०] स्त्रियों का एक प्रकार का रोग जिसमें उनके पेट में एक तरह का गोला-सा घूमता रहता है। जिसमें गर्भ का भ्रम होता है (वैद्यक)। |
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रुधिर-लीहा :
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स्त्री० [मध्य० स०] प्लीहा नामक रोग का एक भेद। (वैद्यक) |
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रुधिर-विज्ञान :
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पुं० [ष० त०] आधुनिक विज्ञान की वह शाखा जिमसें रुधिर में रहनेवाले तत्त्वों और उनमें उत्पन्न होनेवाले कीटाणुओं या विकारों का विवेचन होता है। (हेमोकालोजी) |
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रुधिर-वृद्धि-दाह :
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पुं० [सं० रुधिर-वृद्धि, ष० त० रुधिरवृद्धि, -दाह, ब० स०] वैद्यक के अनुसार एक प्रकार का रोग जिसमें मुँह में से एक प्रकार की बू निकलने लगती है। |
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रुधिरपायी (यिन्) :
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वि० [सं० रुधिर√पा (पीना)+णिनि, उप० स०] [स्त्री० रुधिरयिनी] १. खून पीने वाला। २. रक्त पिपासक। पुं० राक्षस। |
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रुधिराक्त :
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वि० [सं० रुधिर-अक्त, तृ० त०] १. जिसमें बहुत सा रुधिर या लहू हो। खून से भरा। २. रुधिर या लहू की तरह लाल। ३. खून से तर या भीगा हुआ। |
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रुधिराख्य :
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पुं० [रुधिर-आख्या, ब० स०] एक प्रकार का रत्न। |
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रुधिरामय :
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पुं० [रुधिर-आमय, मध्य० स०] रक्तपित्त नामक रोग। |
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रुधिराशन :
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वि० [रुधिर-अशन, ब० स०] जिसका भोजन रुधिर हो (खटमल, जोंक, मच्छर आदि)। |
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रुधिराशी (शिन्) :
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वि० पुं [सं० रुधिर√अश् (खाना)+णिनि]=रुधिराशन। |
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रुधिरोदगारी (रिन्) :
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पुं० [सं० रुधिर-उद√गृ (लीलना)+णिनि, उप० स०] बृहस्पति के साठ संवत्सरों में से सत्तावनवाँ संवत्सर। |
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