शब्द का अर्थ
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रूपा :
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पुं० [सं० रूप] १. चाँदी। २. ऐसी घटिया चाँदी जिसमें कुछ खोट या मिलावट हो। ३. सफेद रंग का बैल जो परिश्रमी माना जाता है। ४. सफेद रंग का घोड़ा। नुकरा। स्त्री० [सं०] रूपवती स्त्री। सुन्दरी। |
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रूपांकक :
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पुं० [सं० रूप-अंकक, ष० त०] किसी चीज का निर्माण करने से पहले उसकी आकृति, रचना प्रकार आदि को रेखाओं नक्शों आदि द्वारा दरशानेवाला व्यक्ति। अभिकल्पक। (डिजाइनर) |
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रूपांकन :
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पुं० [सं० रूप-अंकन] रेखाओं, नक्शों आदि के द्वारा किसी चीज का रूप रंग तथा आकार-प्रकार दरशाने की क्रिया या भाव। अभिकल्पन (डिजाइनिंग)। |
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रूपाजीवा :
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स्त्री० [सं० रूप-आ√जीव् (जीना)+अच्+टाप्] वेश्या। रंडी। |
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रूपांतर :
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पुं० [सं० रूप-अंतर, ष० त०] १. रूप का बदलना। दूसरे रूप की प्राप्ति। रूपांतरण। २. प्राप्त होनेवाला दूसरा रूप। |
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रूपांतरण :
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पुं० [सं० रूप-अंतरण] दूसरे रूप में आना या लाया जाना। रूप बदलना या बदला जाना। (ट्रान्सफारमेशन) |
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रूपाधिबोध :
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पुं० [सं० रूप-अधिबोध, ष० त०] १. जिसके रूप का ज्ञान इंद्रियों से प्राप्त होता है। दृश्य या अदृश्य पदार्थ। २. उक्त पदार्थ का इंद्रियों से होनेवाला ज्ञान। |
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रूपाध्यक्ष :
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पुं० [सं० रुप-अध्ययन, ष० त०] १. टकसाल का प्रधान अफसर। २. कोषाध्यक्ष। |
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रूपामक्खी :
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स्त्री० [हिं० रूपा=चाँदी+मक्खी] एक प्रकार का खनिज पदार्थ जिसकी गणना हमारे यहाँ उप-धातुओं में की गई है, वैद्यक में इसका व्यवहार प्रायः चाँदी के अभाव में किया जाता है क्योंकि इसमें चाँदी का कुछ अंश और गुण पाया जाता है। |
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रूपायन :
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पुं० [सं०] [भू० कृ०रूपायित] १. किसी वस्तु का रूप या ढाँचा। प्रस्तुत करना। २. किसी बात या विचार को कार्यरूप में परिणित करना। |
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रूपायित :
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भू० कृ० [सं०] जिसने कोई रूप प्राप्त किया हो या जिसे कोई रूप दिया गया हो। |
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रूपावचर :
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पुं० [सं०] १. एक प्रकार का देवता (बौद्ध) २. चिन्ता की वह अवस्था जिसमें उसे रूप-जगत् अर्थात् दृश्य पदार्थों का ज्ञान होता है। ३. इस प्रकार प्राप्त होनेवाला ज्ञान। ४. योग में ध्यान की एक भूमि जिसके प्रथम आदि चार भेद कहे गये हैं। |
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रूपाश्रय :
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वि० [सं० रूप-आश्रय, ष० त०] रूपवान्। सुन्दर। |
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रूपास्त्र :
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पुं० [सं० रूप-अस्त्र, ब० स०] कामदेव। |
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