शब्द का अर्थ
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रोज :
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पुं० [फा० रोज] १. दिन। दिवस। जैसे—उसे गए चार रोज हो गए। २. प्रतिदिन के हिसाब से मिलनेवाले पारिश्रमिक या मजदूरी। जैसे—आज कल वह ३ रू० रोज पर काम करता है। अव्य० प्रतिदिन। जैसे—उसे रोज आना-जाना पड़ता है। पुं० [सं० रोदन] १. रोना। रुदन। उदाहरण—रोज सरोजनि के परै, हंसी ससी की होय।—बिहारी। २. रोना-पीटना। विलाप। |
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समानार्थी शब्द-
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रोज-ब-रोज :
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अव्य० [फा० रोज-ब-रोज] प्रतिदिन। नित्य। |
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रोजगार :
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पुं० [फा० रोज़गार] १. वह काम जो किसी को जीविका निर्वाह के लिए रोज या प्रतिदिन करना पड़ता हो। पेशा। जैसे—उसका भीख माँगना रोजगार बन गया है। २. व्यवसाय। व्यापार। जैसे—उनका लकड़ी का रोजगार है। |
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रोजगारी :
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पुं० [फा० रोज़गारी] वह जो कोई रोजगार करता हो। व्यापारी। सौदागर। |
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रोजनामचा :
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पुं० [फा० रोज़नामचः] १. वह छोटी किताब या बही जिस पर रोज का किया हुआ काम लिखा जाता है। दिनचर्या की पुस्तक। दैनंदिनी। जैसे—पटवारियों या पुलिस का रोजनामचा। २. वह बही जिस पर नित्य प्रति की आय और व्यय लिखा जाता है। |
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रोज़मर्रा :
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अव्य० [फा० रोजमर्रः] प्रतिदिन। हर रोज़। नित्य। पुं० १. नित्य प्रति होता रहनेवाला काम। २. नित्य के ‘बोल-चाल’ की भाषा। दे० ‘बोल-चाल’ के अन्तर्गत साहित्यिक अर्थ। |
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रोजा :
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पुं० [फा० रोजा] १. व्रत। उपवास। २. विशेषतः रमजान के महीने में हर दिन रखा जानेवाला उपवास या व्रत। क्रि० प्र०—खोलना।—टूटना। -रखना। ३. रमजान का प्रत्येक दिन जिसमें व्रत रखने का विधान है। जैसे—आज पाँचवाँ रोजा है। पुं० =रौजा (समाधि)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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रोजाखोर :
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पुं० [फा० रोजाखोर] रोजा न रखनेवाला व्यक्ति। (मुसलमान)। |
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रोजादार :
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पुं० [फा० रोजादार] वह मुसलमान जो रमजान में नियमित रूप से महीने भर रोजा रखता हो। |
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रोजाना :
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अव्य० [फा० रोज़ानः] प्रतिदिन। हर रोज। नित्य। पुं० प्रतिदिन के हिसाब से नित्य मिलनेवाला पारिश्रमिक या वेतन। |
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रोजी :
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स्त्री० [फा० रोजी] १. रोज का खाना। नित्य का भोजन। पद—रोजी, रोजगार। क्रि० प्र०—देना।—पाना।—मिलना। मुहावरा—रोजी चलना=भोजन वस्त्र मिलना जाना। जीविका का निर्वाह होता रहना। रोजी से लगना=जीविका निर्वाह का साधन प्राप्त करना। २. काम-धंधा। रोजगार। व्यापार। ३. मध्ययुग में एक प्रकार का पुराना कर या महसूल जिसके अनुसार व्यापारियों को एक-एक दिन राज्य का काम करना पड़ता था। स्त्री० [देश०] गुजरात में होनेवाली एक प्रकार की कपास जिसके फूल पीले होते हैं। |
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रोजी-बिगाड़ :
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वि० [फा० रोजी+हिं० बिगाड़] १. अपनी या दूसरों की लगी हुई रोजी जान-बूझकर बिगाड़ देनेवाला। २. निखट्टू। |
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रोज़ी-रोज़गार :
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पुं० [फा०] जीविका के निर्वाह का साधन। जैसे—उनके चारों लड़के रोजी-रोजगार में लगे हैं। क्रि० प्र०—से लगना। |
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रोज़ीदार :
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वि० [फा०] १. जिसको रोजाना खर्च के लिए कुछ मिलता हो। २. जो किसी रोजी में लगा हो। जिसकी जीविका का साधन वर्तमान हो। |
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रोजीना :
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वि० [फा० रोज़ीनः] रोज़ का। नित्य। दैनिक। पुं० प्रतिदिन के हिसाब से नित्य मिलनेवाली मजदूरी, वेतन, वृत्ति आदि। जैसे—उसको २ रू० रोजीना मिलता है। |
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