रोना/rona

शब्द का अर्थ खोजें

शब्द का अर्थ

रोना  : अ० [सं० रोदन, प्रा०रोअन] १. दुःखी व्यक्ति का ऐसी स्थिति में होना कि उसकी आँखों से आँसू बह रहे हों। रुदन करना। संयो० क्रि०—देना।—पड़ना।—लेना। मुहावरा—रोना-कलपना या रोना-धोना=बहुत दुःखी होकर विलाप करना और अपने कष्टों की चर्चा करना। जैसे—जो चला गया उसके लिए अब क्या रोना कलपना (या रोना-धोना) व्यर्थ है। रोना-पीटना=छाती या सिर पर हाथ मार-मार कर विलाप करना। (प्रायः किसी की मृत्यु होने अथवा बहुत बड़ी हानि होने पर) जैसे—लड़के के मरने (अथवा घर के लुटने) से लोगों में रोना-पीटना मच गया। (किसी चीज या बात पर) रो बैठना=अच्छी तरह रो चुकने पर निराश होकर रह जाना। जैसे—हमारा हजारों रुपये का जो माल वे उठा ले गए, उसके लिए तो हम पहले ही रो बैठे। रो-रोकर=बहुत कठिनता से। दुःख और कष्ट सहते हुए (प्रसन्नतापूर्वक नहीं) जैसे—उसने रो-रोकर काम किया है। रो-रोकर घर भरना=बहुत विलाप करना। २. किसी प्रकार का कष्ट या हानि के लिए बहुत अधिक दुःखी होना। जैसे—(क) वे तो अपने रुपयों के लिए रोते हैं। (ख) वह बैठी अपनी किस्मत को रो रही है। मुहावरा—(किसी के आगे) रोना जाना=सहायता आदि पाने के उद्देश्य से विनीत भाव से अपना कष्ट या दुःख किसी से कहना। अपना रोना रोना=रोते हुए अपने दुःखों की कहानी कहना। ३. किसी बात पर कुढ़ या चिढकर ऐसी आकृति बनाना या व्यवहार करना कि मानों लड़कों की तरह बैठकर रो रहे हों। जैसे—वह तो जरा-सी बात में रोने लगता है। मुहावरा—खून के आँसू रोना=इतना अधिक दुःखी होकर रोना कि मानों आँखों से आँसुओं की जगह खून की बूँदें निकल रही हों। पुं० अभाव, कष्ट हानि आदि की ऐसी स्थिति जो मनुष्य को बहुत अधिक दुःखी करती या रखती हो। जैसे—यहाँ इसी बात का रोना हि कि तुम किसी का कहना नहीं मानते। वि० [स्त्री० रोनी] १. जो बात-बात पर रोने लगता हो। ३. बहुत जल्दी चिढ़ने या बुरा माननेवाला, प्रायः बहुत अधिक दुःखी रहनेवाला। जैसे—ऐसे रोने आदमी से तो सदा दूर ही रहना चाहिए।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
लौटें            मुख पृष्ठ