वर्ण-प्रस्तार/varn-prastaar

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वर्ण-प्रस्तार  : पुं० [ष० त०] छंद-शास्त्र में वह क्रिया जिससे यह जाना जाता कि अमुक संख्यक वर्णों के इतने वृत्त भेद हो सकते है और उन भेदों के स्वरूप इस प्रकार होगे।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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